यह ख़बर 17 अक्टूबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

भट्ट जमानत पर रिहा, मोदी को बताया 'अपराधी'

खास बातें

  • निलंबित आईपीएस संजीव भट्ट को अहमदाबाद सेशंस कोर्ट से जमानत मिल गई है। मोदी सरकार इस जमानत के खिलाफ थी।
अहमदाबाद:

गुजरात के निलम्बित पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट को विशेष अदालत ने सोमवार को जमानत दे दी, जिसके बाद वह जेल से रिहा हो गए। इसे गुजरात सरकार के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर 2002 के साम्प्रदायिक दंगों में संलिप्तता का आरोप लगाने वाले भट्ट ने इसे 'न्याय की जीत' बताया और मोदी को एक बार फिर 'अपराधी' कहा। उन्होंने यह भी अंदेशा जताया कि मोदी उन्हें मरवाने की कोशिश कर सकते हैं। केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने उनकी रिहाई का स्वागत किया। भट्ट ने कहा, "मेरे लिए मोदी सामान्य अपराधी हैं, जो मुख्यमंत्री बन गए हैं। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। एक पुलिस अधिकारी के रूप में मैं उन्हें अपराधी के तौर पर देखता हूं।" उन्होंने कहा, "यह सरकार मुझे मरवाने की कोशिश कर सकती है, जैसा कि इसने पूर्व मंत्री हरेन पंड्या के साथ किया। वे कुछ भी कर सकते हैं और मैं इसके लिए तैयार हूं।" भट्ट ने कहा, "मैं नरेंद्र मोदी, उनके पिछलग्गुओं तथा उनके दल में शामिल लोगों के लिए खतरा हूं और वे इसे टालने की कोशिश करेंगे। यदि उन्हें मुझे मारना होगा तो वे इसमें संकोच नहीं करेंगे।" इससे पहले साबरमती जेल से बाहर आने पर समर्थकों ने फूलों से उनका स्वागत किया। वह पत्नी श्वेता भट्ट के गले मिले, जो बाहर उनका इंतजार कर रही थीं। शांत व संयत दिख रहे भट्ट ने संवाददाताओं से कहा, "मैं खुश हूं कि न्याय की जीत हुई। इससे आगे भी जीत की उम्मीद जगी है।" सत्र न्यायाधीश वीके व्यास ने इस शर्त पर भट्ट को जमानत दी कि वह जांच में सहयोग करेंगे और जब भी उन्हें बुलाया जाएगा वह अदालत में पेश होंगे। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी भट्ट को 30 सितम्बर को गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि उन्होंने मोदी के खिलाफ गलत हलफनामा पर हस्ताक्षर करने के लिए पुलिस कांस्टेबल केडी पंथ पर दबाब बनाया, जिसमें लिखा था कि गोधरा में रेलगाड़ी में आग लगने और दंगा भड़कने के बाद बुलाई गई मुख्यमंत्री की बैठक में वह मौजूद थे। भट्ट ने इसी साल अप्रैल में सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा दायर कर कहा था कि गोधरा में रेलगाड़ी में आग लगने के बाद मोदी ने पुलिस कर्मियों की बैठक बुलाई थी और उनसे राज्य की बहुसंख्यक आबादी को अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपना गुस्सा उतारने की अनुमति देने को कहा था। इस बीच, नई दिल्ली में केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि अदालत के आदेश से न्याय व्यवस्था की स्वतंत्रता स्थापित हुई है। उन्होंने कहा, "यह मायने नहीं रखता कि लोग क्या अनुमान लगाएंगे और कितने सवाल खड़े होंगे। अंतत: हमने दिखाया कि हमारी व्यवस्था स्वतंत्र है और यह जनमत या किसी अन्य तरह के दबाव में नहीं झुकती।"


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com