यह ख़बर 24 अप्रैल, 2013 को प्रकाशित हुई थी

ठगे गए निवेशकों के लिए ममता करेंगी 500 करोड़ रुपये के कोष का गठन

खास बातें

  • शारदा ग्रुप द्वारा संचालित चिटफंड कंपनी में निवेश कर धन गंवाने वाले निवेशकों को राहत देने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार 500 करोड़ रुपये के राहत कोष का गठन करेगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को इस आशय की घोषण की।
कोलकाता:

शारदा ग्रुप द्वारा संचालित चिटफंड कंपनी में निवेश कर धन गंवाने वाले निवेशकों को राहत देने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार 500 करोड़ रुपये के राहत कोष का गठन करेगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को इस आशय की घोषण की।

बनर्जी ने इस कोष के लिए धन मुहैया कराने के लिए सिगरेट पर 10 प्रतिशत कर लगाने की भी घोषणा की।

राज्य सचिवालय राइटर्स बिल्डिंग में संवाददाताओं से बनर्जी ने कहा, "हम अपना धन गंवाने वाले छोटे एवं मझोले निवेशकों के लिए 500 करोड़ रुपये के राहत कोष का गठन करेंगे। इससे परेशान आम लोगों को मदद मिलेगी।"

उन्होंने कहा, "इस कोष के लिए धन जुटाने के वास्ते हम सिगरेट पर 10 प्रतिशत कर लगाएंगे। इससे हमें 150 करोड़ रुपये की आय होगी। शेष राशि जुटाने के लिए हम अन्य संसाधनों का सहारा लेंगे।"

बनर्जी ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश श्यामलाल सेन की अध्यक्षता वाले आयोग की सिफारिश पर निवेशकों को कोष से भुगतान किया जाएगा।

जम्मू-कश्मीर में गिरफ़्तार शारदा चिट फंड कंपनी के मालिक और उसके दो सहयोगियों को कोलकाता पुलिस चार दिन की ट्रांज़िट रिमांड पर कोलकाता ले जा रही है। इस बीच शारदा कंपनी के मालिक की एक चिट्ठी सामने आने से ममता बनर्जी की मुश्किल बढ़ गई है। उनके कुछ सांसद भी निशाने पर हैं। ये पूरा मामला बंगाल की राजनीति में नया हंगामा पैदा कर सकता है।

शारदा चिट फंड कंपनी के मालिक सुदीप्तो सेन और उसके दो सहयोगियों देबजानी मुखोपाध्याय और अरविंद चौहान को
बुधवार को पुलिस ने श्रीनगर के गांदरबल अदालत में पेश किया। अब चार दिन की ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता पुलिस उन्हें कोलकाता ले जा रही है। सुदीप्तो सेन की सहयोगी देबजानी की रिश्तेदार का कहना है कि उसे फंसाया जा रहा है।

चिट्ठी में सुदीप्तो सेन ने आरोप लगाया है कि उन्हें तृणमूल के कुछ नेताओं ने ब्लैकमेल किया है। चिट्ठी में 22 लोगों के नाम बताए जा रहे हैं जिन्होंने पैसे बनाने के लिए सेन का इस्तेमाल किया गया। इनमें सांसद कुणाल घोष और सृंजय बोस के नाम भी शामिल बताए जा रहे हैं।  

तृणमूल सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि पार्टी के कुछ सांसद कुणाल घोष को हटाए जाने के हक़ में हैं। उधर, सृंजय बोस की सफाई दिलचस्प है। उनके मुताबिक ये उनका कारोबारी मामला है और चिट फंड कंपनियां नहीं होंगी तो लोगों को रोज़गार कैसे मिलेगा।

वैसे आरोपों की कीचड़ बंगाल से आए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तक पहुंच गई तो राष्ट्रपति भवन ने सीधे खंडन किया। सौगत रॉय ने एनडीटीवी से कहा कि ये आरोप बेतुके हैं। इनमें कोई भी तथ्य नहीं है। राष्ट्रपति का किसी चिट फंड कंपनी से वास्ता नहीं है।

वैसे तृणमूल कांग्रेस खुद भी घिरी हुई है। बंगाल में अपना सबकुछ गंवा चुके हज़ारों लोग सिर्फ सुदीप्तो के ख़िलाफ़ ही नारे नहीं लगा रहे। उन्हें उन लोगों से भी जवाब चाहिए जिनके रहते ये सबकुछ हुआ।

साफ है कि कल तक जो मामला सिर्फ पैसे के घोटाले का लग रहा था वो पश्चिम बंगाल में राजनीतिक तूफान पैदा करता दिख रहा है।

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(इनपुट आईएएनएस से भी)