सत्‍ता हस्‍तांतरण में शशिकला की कथित निर्णायक भूमिका ने जयललिता की पार्टी को किया स्‍तब्‍ध

सत्‍ता हस्‍तांतरण में शशिकला की कथित निर्णायक भूमिका ने जयललिता की पार्टी को किया स्‍तब्‍ध

खास बातें

  • केवल शशिकला और कोर सलाहाकारों को ही जयललिता के पास तक जाने की अनुमति थी
  • अपोलो अस्‍पताल में मंत्री, विधायकों को खाली पेजों पर साइन करने को कहा गया
  • करीब 30 नेताओं को मंत्रीपद की शपथ के लिए बस में राजभवन ले जाया गया
चेन्‍नई:

जयललिता की अंतिम यात्रा में शोक में डूबे समर्थकों की अपार भीड़ के बीच खुले ट्रक में उनके पार्थिव शरीर को जब दफनाने के लिए मरीना बीच पर ले जाया गया, तो काली साड़ी में उनकी विश्‍वस्‍त सहयोगी शशिकला नटराजन ने अंतिम क्रिया के संस्‍कार पूरे किए.

जयललिता के साथ उनके 50 करोड़ के घर में रहने वाली शशिकला नटराजन (59) के पास अन्‍नाद्रमुक के भीतर कोई आधिकारिक पद नहीं था, लेकिन जयललिता के अंतिम समय तक लगातार चौबीसों घंटे उन तक पहुंच ने शशिकला को इस नाजुक मौके पर तमिलनाडु की इस सत्‍तारूढ़ पार्टी को अपनी अपनी इच्‍छा के अनुसार चलना सुनिश्चित किया.

अन्‍नाद्रमुक के भीतर के सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि किस तरह शशिकला ने जयललिता के बाद नए नेतृत्‍व के ट्रांजीशन फेज में निर्णायक भूमिका निभाई. 

रविवार को जयललिता को तकरीबन साढ़े सात बजे दिल का दौरा पड़ा. उसके करीबन तीन घंटे बाद ओ पन्‍नीरसेल्‍वम समेत सभी विधायकों और मंत्रियों को बताया गया कि जयललिता की माइनर सर्जरी होने जा रही है.  सुबह चार बजे इन लोगों को बताया गया कि उनको सर्जरी के बाद आईसीयू में शिफ्ट किया गया है.
 


लेकिन साथ ही इस तरह की व्‍यवस्‍था की गई कि किसी भी तरह जयललिता की किसी को झलक भी नहीं दिखे. केवल शशिकला और पूर्व नौकरशाह शीला बालाकृष्‍णन जैसे कोर सलाहकारों को ही जयललिता के पास तक जाने की अनुमति थी.

उसके कुछ समय बाद विधायकों को पता चला कि रात में दरअसल ईसीएमओ (एक्‍स्‍ट्राकोरपोरियल मेम्‍ब्रेन ऑक्‍सीजिनेशन डिवाइस) जयललिता को लगाया गया है, जोकि दिल और फेफड़ों की व्‍यवस्‍था को सुचारू ढंग से काम करने के लिए लगाया जाता है.

अगली सुबह सभी विधायकों और मंत्रियों को अपोलो अस्‍पताल के बेसमेंट में मीटिंग के लिए बुलाया गया. जयललिता इसी अस्‍पताल में तकरीबन 70 दिनों से भर्ती थीं.

उसमें कथित रूप से सबको शशिकला ने तीन खाली A-4 साइज पेपरों पर हस्‍ताक्षर करने को कहा. उसमें लिस्‍ट में सभी के नाम थे और सबको अपने नाम के सामने हस्‍ताक्षर करने को कहा गया. उनको यह नहीं बताया गया कि इन हस्‍ताक्षरों का किस रूप में इस्‍तेमाल किया जाएगा. वहां पर रखे एक रजिस्‍टर में भी सबसे दस्‍तखत करने को कहा गया ताकि यह स्‍थापित किया जा सके कि पार्टी कॉन्‍क्‍लेव आयोजित हुआ था.

दोपहर दो बजे तक यह सूचना पहुंची की जयललिता का निधन हो गया. कई विधायक भावुक होकर रोने लगे. उनसे तब कहा गया कि शाम छह बजे पार्टी के दफ्तर में मीटिंग होगी. जब वे वहां पहुंचे तो पता चला कि पन्‍नीरसेल्‍वम समेत पांच मंत्री नहीं आए हैं. जो लोग मीटिंग में गए थे, उनका मानना है कि इसी दौरान जयललिता ने सत्‍ता के हस्‍तांतरण के लिए इन पांच कद्दावर नेताओं से बातचीत की.  

इसी दौरान कई न्‍यूज चैनलों ने शाम करीब पांच बजे रिपोर्ट दी कि जयललिता का निधन हो गया है. हालांकि अस्‍पताल ने स्थिति स्‍पष्‍ट करते हुए इसका खंडन किया. इस बीच विधायकों को पार्टी ऑफिस से अस्‍पताल जाने की अनुमति नहीं दी गई. रात 11 बजे के बाद पांचों नदारद मंत्री उदास भाव के साथ वहां पहुंचे. पार्टी चेयरमैन मधूसूधानन को एक पंक्ति का बयान पढ़ने को दिया गया. उसमें यह व्‍यवस्‍था थी कि पन्‍नीरसेल्‍वम अगले मुख्‍यमंत्री होंगे.
 

उसके बाद करीब 30 नेताओं को मंत्रीपद की शपथ के लिए बस में राजभवन ले जाया गया जोकि पहले से ही नई सरकार के शपथग्रहण कार्यक्रम के लिए तैयार था. वहां पर औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए जरूरी अधिकारी मौजूद थे. उसके तकरीबन आधे घंटे यानी मध्‍यरात्रि के बाद 12.40 बजे जयललिता के निधन की घोषणा की गई. राजभवन में ही मंत्रियों को इस बारे में बताया गया. कई वहीं पर रोने लगे.

शशिकला नटराजन 1980 के दशक से ही जयललिता की विश्‍वस्‍त सहयोगी रहीं लेकिन कभी भी सरकार या पार्टी में किसी पद पर नहीं रहीं. जय‍ललिता के लंबे साथ की वजह से ही उनको सत्‍ता का एक केंद्र माना जाता रहा. उल्‍लेखनीय है कि शशिकला और पन्‍नीरसेल्‍वम एक ही समुदाय से ताल्‍लुक रखते हैं और शशिकला के समर्थन से वह जयललिता के सबसे महत्‍वपूर्ण सहयोगी बनकर उभरे.

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