दिल्ली समेत देशभर के ‘खराब’ पानी का मुद्दा: SC ने RO निर्माता कंपनियों को पानी संबंधित तथ्य को केंद्र को देने के लिए कहा

सुप्रीम कोर्ट ने RO निर्माता कंपनियों को पानी संबंधित सभी तथ्य को केंद्र सरकार को दस दिनों के भीतर देने के लिए कहा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालय को इस मुद्दे पर विचार करने के निर्देश दिए हैं.

दिल्ली समेत देशभर के ‘खराब’ पानी का मुद्दा: SC ने RO निर्माता कंपनियों को पानी संबंधित तथ्य को केंद्र को देने के लिए कहा

सुप्रीम कोर्ट - (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने RO निर्माता कंपनियों को पानी संबंधित सभी तथ्य को केंद्र सरकार को दस दिनों के भीतर देने के लिए कहा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालय को इस मुद्दे पर विचार करने के निर्देश दिए हैं. निर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट में BIS की रिपोर्ट का भी हवाला दिया कि दिल्ली समेत अन्य इलाकों में पानी में भारी मैटल हैं. पानी से ये मैटल निकालने के लिए एल्युम्यूनियम का इस्तेमाल किया जाता है और वो भी ठीक नहीं है. ऐसे में RO ही इसके लिए सही है. कोर्ट में BIS की रिपोर्ट भी पेश की गई.

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RO बनाने वाली कंपनियों की वाटर क्वालिटी इंडिया एसोसिएशन ने NGT के 28 मई के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. NGT ने उन इलाकों में आरओ के इस्तेमाल पर रोक लगाने का आदेश दिया है, जहां प्रति लीटर पानी में टोटल डिजाल्व्ड सोलिड्स (टीडीएस) की मात्रा 500 मिलीग्राम से कम हो.

NGT ने कहा है कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय उन स्थानों पर आरओ के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने वाली उचित अधिसूचना जारी कर सकता है जहां पानी में टीडीएस 500 एमजी प्रति लीटर से कम है और जहां भी आरओ की अनुमति है वहां यह सुनिश्चित किया जाए कि 60 प्रतिशत से अधिक पानी को पुन: इस्तेमाल में लाया जाए. 

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इससे पहले सितंबर में आरओ प्यूरिफायर पर पाबंदी के संबंध में अधिसूचना जारी करने में देरी पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरण व वन मंत्रालय को कड़ी फटकार लगाई. एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंत्रालय द्वारा आठ महीने की मोहलत मांगने की दलील को अतार्किक बताया और कहा कि इस मामले में देरी करना जनहित में नहीं है. अधिकरण ने यह भी कहा कि उसका आदेश विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट पर आधारित था. इस समिति में मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल थे.

पीठ ने कहा कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के अनुसार पहले से जारी निर्देश को देखते हुए मंत्रालय अब अधिसूचना जारी कर सकता है और इसमें न सिर्फ घरेलू और वाणिज्यिक उपयोग में बल्कि औद्योगिक प्रक्रिया में भी आरओ से निकलने वाले खराब पानी के मसले को भी शामिल किया जा सकता है.

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एनजीटी ने केंद्रीय भूजल प्राधिकरण से भी एक सप्ताह के अंदर भूजल की उपलब्धता पर डाटा देने को कहा था. साथ ही यह भी कहा था कि ऐसा नहीं करने पर प्राधिकरण के सदस्य सचिव को एक लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा. अधिकरण ने प्राधिकरण के सदस्य सचिव और मंत्रालय के संबंधित संयुक्त सचिव को अनुपालन रिपोर्ट के साथ तलब किया था.

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