झारखंड दलबदल केस: विधानसभा स्‍पीकर की याचिका पर सुनवाई से SC का इनकार, कहा- हाईकोर्ट जाइए

विधानसभा अध्यक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर कर हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है. इधर मामले में हाईकोर्ट से आदेश आने के बाद बाबूलाल मरांडी की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर की गई है.

झारखंड दलबदल केस: विधानसभा स्‍पीकर की याचिका पर सुनवाई से SC का इनकार, कहा- हाईकोर्ट जाइए

दलबदल मामला बीजेपी के नेता बाबूलाल मरांडी से संबंधित है (फाइल फोटो)

खास बातें

  • स्‍पीकर रबींद्र नाथ महतो ने SC में दाखिल की थी याचिका
  • मामले में स्‍पीकर ने बाबूलाल मरांडी को नोटिस जारी किया था
  • नोटिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी, इस पर SC गए थे स्‍पीकर
नई दिल्‍ली:

Jharkhand Defection case: झारखंड में दलबदल मामले (Jharkhand Defection case) में विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो द्वारा दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई से इंकार किया. SC ने स्पीकर को अंतरिम रोक के मामले में झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court )में जाने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर झारखंड हाईकोर्ट में कल सुनवाई होनी है इसलिए याचिकाकर्ता को वहीं जाना चाहिए.दरअसल दलबदल मामले में विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो ने बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) को नोटिस जारी किया था, इस नोटिस पर हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी थी. अब हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे.

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विधानसभा अध्यक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर कर झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है. इधर इस मामले में हाईकोर्ट से आदेश आने के बाद बाबूलाल मरांडी की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट याचिका दायर की गई है. मामले में हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई 13 जनवरी तक के लिए टालते हुए विधानसभा न्यायाधिकरण में चल रही सुनवाई पर रोक लगाने का आदेश दिया था.अदालत ने  इसके अलावा राज्य सरकार और विधानसभा से मामले में जवाब दाखिल करने को भी कहा है.

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बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने दसवीं अनुसूची के तहत विधानसभा न्यायाधिकरण द्वारा लिए गए स्वतः संज्ञान को चुनौती देते हुए विधानसभा के 2006 के निहर्ता नियमावली का हवाला दिया थागौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष ने विधानसभा न्यायाधिकरण में स्वतः संज्ञान लेते हुए कांड दर्ज कर नोटिस जारी किया  था इसके खिलाफ बाबूलाल मरांडी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इसे चुनौती दी थी.

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