सेवानिवृत्त 2 आईपीएस अधिकारियों को नियुक्ति देने का मामला, SC ने कहा- फैसला ले गुजरात सरकार

कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से कहा है कि वो भी बताएं कि क्या वह पद छोड़ना चाहते है.

सेवानिवृत्त 2 आईपीएस अधिकारियों को नियुक्ति देने का मामला, SC ने कहा- फैसला ले गुजरात सरकार

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो )

खास बातें

  • एके अमीन और तरूण बारोट को दी गई नियुक्ति
  • दोनों ही आईपीएस अधिकारी हो चुके हैं रिटायर
  • सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को करेगा सुनवाई
नई दिल्ली:

गुजरात में पुलिस अफसर एके अमीन और तरूण बारोट को रिटायरमेंट के बाद नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुएसुप्रीमकोर्ट ने गुजरात सरकार से मामले से कोई फैसला लेने के लिए कहा है. इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से कहा है कि वो भी बताएं कि क्या वह पद छोड़ना चाहते है. अदालत ने राज्य सरकार से कहा है इन मामलों पर भी वैसा ही फैसला लिया जाना चाहिए जैसा कि पीपी पांडे के मामले मे लिया गया था.  वहीं गुजरात सरकार के वकील तुषार मेहता ने कहा कि दोनों अच्छे अफसर हैं इसलिए उन्हें रिटायरमेंट के बाद कांट्रेक्ट पर रखा गया है. ये नियुक्तियां नियम के तहत ही हुई हैं और दूसरे राज्यों में भी ऐसे नियुक्तियां होती रही हैं. सुप्रीम कोर्ट अब गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करेगा.

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दरअसल 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार को नोटिस भेजकर दो हफ्ते में जवाब मांगा था. अमीन इशरत जहां एनकाउंटर में आरोपी हैं और सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में भी आरोपी थे लेकिन कोर्ट से आरोपमुक्त हो चुके है. पूर्व IPS अफसर राहुल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि गुजरात सरकार ने अगस्त 2016 में रिटायरमेंट के बाद तापी का SP बनाया है जबकि तरूण बारोट सादिक जमाल और इशरत जहां केस में आरोपी रहे हैं लेकिन सरकार ने उन्हें रेलवे में डिप्टी SP बनाया गया था. याचिका में मांग की गई है कि दोनों की नियुक्तियां रद्द की जानी चाहिए.

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गौरतलब है कि गुजरात में IPS पीपी पांडे को एक्सटेंशन देकर कार्यकारी DGP बनाने का मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. इस साल 3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पीपी पांडे गुजरात के कार्यकारी डीजीपी पद से तुरंत मुक्त होंगे. गुजरात सरकार उन्हें दिए गए एक्सटेंशन को वापस लेने का नोटिफिकेशन जारी करेगी. इशरत जहां केस में आरोपी पीपी पांडे के बारे में गुजरात सरकार ने कोर्ट में बताया कि पीपी पांडे ने खुद ही सरकार को लिखा है कि वह पद छोडना चाहते हैं. सरकार चाहती थी वह छह महीने तक पद पर रहें, लेकिन केंद्र ने उन्हें 30 अप्रैल तक ही एक्सटेंशन दिया है. इशरत केस में अभी चार्जशीट फाइल हुई है, चार्ज फ्रेम नहीं हुए. वह गवाहों या सबूतों को प्रभावित नहीं कर सकते, इसलिए उन्हें 30 अप्रैल को रिटायर होने दिया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पहले ही रिटायर हो चुके हैं, यह सिर्फ एक्सटेंशन है.

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उस वक्त रिटायर्ड IPS अफसर जूलियो रिबेरो की याचिका में कहा गया था कि पीपी पांडे इशरत जहां समेत कई केस में आरोपी रहे हैं, लेकिन सरकार ने रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन देकर गुजरात का कार्यकारी DGP बना दिया है, इससे तमाम केसों की जांच के वह प्रभारी हो गए हैं और केसों में गवाही देने वाले पुलिसवालों के मुखिया हो गए हैं. ऐसे में वह केसों को प्रभावित करेंगे, सो, उन्हें पद से हटाया जाए. पिछले साल मई में गुजरात सरकार के चार हत्या के आरोप झेल रहे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी पीपी पांडे को गुजरात राज्य का कार्यकारी पुलिस महानिदेशक बनाने के खिलाफ सेवानिवृत्त अधिकारी जूलियो फ्रांसिस रिबेरो ने गुजरात हाईकोर्ट में भी चुनौती देकर उक्त नियुक्ति को निरस्त करने की मांग की थी. हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी.
 


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