यह ख़बर 03 जनवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

औषधियों के अनैतिक परीक्षण पर सरकार की खिंचाई

खास बातें

  • बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों द्वारा भारतीय मरीजों पर कराए जा रहे अनैतिक क्लीनिकल परीक्षण पर रोक लगाने में विफल रहने पर सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को सरकार की खिंचाई की।
नई दिल्ली:

बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों द्वारा भारतीय मरीजों पर कराए जा रहे अनैतिक क्लीनिकल परीक्षण पर रोक लगाने में विफल रहने पर सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को सरकार की खिंचाई की। बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारतीय मरीजों का इस्तेमाल 'प्रयोग पशु' के रूप में कर रही हैं।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की संसद की स्थायी समिति की मई 2012 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए जस्टिस आरएम लोढ़ा और अनिल आर दवे ने कहा, "यह सचमुच हमें दुख पहुंचाता है क्योंकि बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियां देश के अशिक्षित लोगों और बच्चों का इस्तेमाल पशुओं की तरह कर रही हैं।"

न्यायालय ने कहा, "हम जानना चाहते हैं कि आखिर केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी से आंखें क्यों मूंदे बैठी है। हम चाहते हैं कि आप इस परंपरा पर अविलंब रोक लगाएं। यह जाहिर हुआ है कि औषधि नियंत्रक एक मिथ्या नाम है। यदि वह इस काम को नहीं कर सकता तो फिर इसे कौन कर सकता है?"

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मध्य प्रदेश के एनजीओ स्वास्थ्य अधिकार मंच की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कर्तव्य निर्वाह में अनियमितता के लिए खिंचाई करते हुए न्यायालय ने फैसला आने तक सभी क्लीनिकल परीक्षण "अनिवार्य रूप से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव की सीधी निगरानी में प्रक्रिया के अनुरूप" करने का निर्देश दिया।