यह ख़बर 16 अप्रैल, 2013 को प्रकाशित हुई थी

सरेंडर पर संजय की अपील पर सुनवाई आज

खास बातें

  • मुंबई धमाके के तीन दोषियों की सरेंडर करने के लिए और समय दिए जाने की मांग करने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। वहीं, कोर्ट ने संजय दत्त की अपील पर सुनवाई बुधवार तक के लिए टाल दी है।
नई दि्ल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने 1993 के मुम्बई विस्फोटों के तीन दोषियों को समर्पण के लिए ओर समय देने से मंगलवार को इनकार कर दिया। इन मुजरिमों ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिकाएं लंबित होने के आधार पर उन्हें समर्पण के लिए और समय देने का अनुरोध किया था। वहीं, कोर्ट ने संजय दत्त की अपील पर सुनवाई बुधवार तक के लिए टाल दी है। बताया जा रहा है कि बेंच के एक जज के आज न आने की वजह से यह सुनवाई टाल दी गई है।

जैबूनिसा अनवर काजी (70), इसाक मोहम्मद हजवाने (76) और शरीफ अब्दुल गफूर पार्कर (88) उर्फ दादाभाई ने समर्पण के लिए और वक्त के लिए शीर्ष अदालत में याचिकाएं दायर की थीं।

उच्चतम न्यायालय ने पूर्व में अपने आदेश में इन लोगों से कहा था कि वह खुद को सुनाई गई सजा काटने के लिए समर्पण कर दें।

प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि दया याचिका राष्ट्रपति के समक्ष लंबित होने के आधार पर समर्पण करने की अवधि बढ़ाई नहीं जा सकती है।

शीर्ष अदालत ने 21 मार्च को टाडा अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें काजी को पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी। वह कैंसर से पीड़ित है।

इसने निचली अदालत द्वारा हजवाने को सुनाई गई पांच साल कैद की सजा बढ़ाकर उम्रकैद में तब्दील कर दी थी।

टाडा अदालत द्वारा पार्कर को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा शीर्ष अदालत ने बरकरार रखी थी। वह जेल में पहले ही 14 साल गुजार चुका है।

उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष मार्कंडेय काटजू ने काजी की ओर से 18 मार्च को और अन्य दो की ओर से 10 अप्रैल को राष्ट्रपति को निवेदन भेजा था। इन लोगों की याचिकाओं में कहा गया था कि जब तक उनकी ओर से काटजू द्वारा राष्ट्रपति से किए गए निवेदन पर फैसला नहीं हो जाता तब तक उनसे समर्पण के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।

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मुम्बई में 12 मार्च 1993 को हुए बम विस्फोटों में 257 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।