केंद्रीय विद्यालयों में हिंदी में प्रार्थना क्या हिंदू धर्म का प्रचार है? SC करेगा सुनवाई

केंद्रीय विद्यालयों में हिंदी में प्रार्थना क्या हिंदू धर्म का प्रचार है? सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्‍द्र सरकार और केन्‍द्रीय विद्यालयों को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है.

केंद्रीय विद्यालयों में हिंदी में प्रार्थना क्या हिंदू धर्म का प्रचार है? SC करेगा सुनवाई

केंद्रीय विद्यालयों में हिंदी में प्रार्थना क्या हिंदू धर्म का प्रचार है? SC करेगा सुनवाई (फाइल फोटो)

खास बातें

  • केन्‍द्र सरकार और केन्‍द्रीय विद्यालयों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा
  • ये बड़ा गंभीर संवैधानिक मुद्दा, जिस पर विचार जरूरी: SC
  • केंद्रीय विद्यालयों में 1964 से हिंदी में सुबह की प्रार्थना हो रही है
नई दिल्ली:

केंद्रीय विद्यालयों में हिंदी में प्रार्थना क्या हिंदू धर्म का प्रचार है? सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केन्‍द्र सरकार और केन्‍द्रीय विद्यालयों को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है. 

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये बड़ा गंभीर संवैधानिक मुद्दा, जिस पर विचार जरूरी है. यह याचिका एक वकील ने दाखिल कर कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में 1964 से हिंदी में सुबह की प्रार्थना हो रही है जोकि पूरी तरह असंवैधानिक है. 

ये संविधान के अनुच्छेद 25 और 28 के खिलाफ है और इसे इजाजत नहीं दी जा सकती है. कानून के मुताबिक, राज्यों के फंड से चलने वाले संस्थानों में किसी धर्म विशेष को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता.

प्रार्थना का नया कोड 
देशभर में 1125 केन्‍द्रीय स्कूल हैं. नया कोड बनाया गया है, जिसके तहत संस्कृत श्लोक के बाद हिंदी प्रार्थना गानी होती है (दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना, दया करना हमारी आत्मा में, शुद्धता देना हमारे ध्यान में आओ प्रभु, आंखों में बस जाओ).  इसके लिए छात्रों को आंख बंद और हाथ जोड़ना होता है, जो नहीं करेगा तो शिक्षक मंच पर सबके सामने ठीक कराएंगे. अगर शिक्षक नहीं करते तो प्रिंसिपल कार्रवाई करेंगे. हिंदी और संस्‍कृत की प्रार्थना धर्म विशेष हिंदू का प्रचार करती हैं, जो अनुच्छेद 28 और 19 का उलंल्घन है.

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