दिल्ली में सीलिंग : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम गरीबों, छोटे व्यापारियों और झुग्गियों के खिलाफ नहीं

सुप्रीम कोर्ट को आपत्ति रिहायशी इलाकों में स्थित कार शोरूम, रेस्तरां, साड़ियों के बड़े-बड़े शोरूम को लेकर, इन्हें क्यों संरक्षण मिले?

दिल्ली में सीलिंग : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम गरीबों, छोटे व्यापारियों और झुग्गियों के खिलाफ नहीं

सुप्रीम कोर्ट.

खास बातें

  • कोर्ट ने कह, रिहायशी इलाकों में व्यावसायिक गतिविधियां कैसे चल रहीं?
  • सरकार क्यों इन लोगों को साल-दर-साल संरक्षण दे रही है?
  • दिल्ली के आम निवासियों के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता
नई दिल्ली:

दिल्ली में सीलिंग के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह गरीब, छोटे व्यापारियों और झुग्गी झोपड़ियों के खिलाफ नहीं है और न ही वह उन पर कार्रवाई करने जा रहा है. कोर्ट ब्रेड, बटर, दूध आदि बेचने वालों के खिलाफ नहीं है लेकिन कोर्ट को आपत्ति रिहायशी इलाकों में स्थित कार शोरूम, रेस्तरां, साड़ियों के बड़े-बड़े शोरूम को लेकर है. रिहायशी इलाकों में बड़े-बड़े शोरूमों को क्यों संरक्षण मिलना चाहिए?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आखिर रिहायशी इलाकों में व्यावसायिक गतिविधियां कैसे चल रही हैं? आखिर सरकार क्यों इन लोगों को साल-दर-साल संरक्षण दे रही है? दिल्ली के आम लोग मवेशी नहीं हैं. तमाम सरकारी एजेंसियों को यह समझना चाहिए कि दिल्ली की जनता महत्वपूर्ण है. कुछ लोगों को संरक्षण देने के लिए दिल्ली के आम निवासियों के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता. सरकार अपनी आंखें मूंद सकती है लेकिन हम नहीं मूंद सकते.

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अदालत ने कहा कि यह सब पिछले 33 वर्षों से चला आ रहा है लेकिन सरकारी एजेंसियां चुपचाप बैठी हुई हैं. पीठ ने शहरी विकास व आवास मंत्रालय, डीडीए, दिल्ली सरकार और निगम को बैठक कर सोमवार तक सुझाव देने के लिए कहा है. पीठ ने कहा है कि सुझाव ऐसे होने चाहिए जो कारगर हों.

दिल्ली सरकार ने कहा है कि दिल्ली की एक तिहाई जनता अनधिकृत कॉलोनियों में रहती है और एक झटके में उन्हें राजधानी से बाहर नहीं फेंका जा सकता.

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केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एएनएस नाडकर्णी से सवाल किया गया जिसके जवाब में नाडकर्णी ने कहा कि लोग रहते हैं तो उन्हें रोजमर्रा की चीजों की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि चरणबद्ध तरीके से इसका समाधान निकालने की जरूरत है. कानून को खत्म कर देना समाधान नहीं है. एएसजी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले की निगरानी करनी चाहिए और तमाम एजेंसियों को निर्देश देना चाहिए.

VIDEO : केंद्र सरकार को कोर्ट की फटकार

लेकिन पीठ ने इस मामले की निगरानी करने से इनकार कर दिया. पीठ ने कहा कि हम 'पुलिस  नहीं हैं. आखिर आप यह कैसे कह सकते हैं कि अदालत को यह करना चाहिए. सोमवार को मामले में अगली सुनवाई होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और सिविक एजेंसियों को लताड़ा
सीलिंग और अवैध कस्ट्रक्शन मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार और सिविक एजेंसियों की खिंचाई की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण को रोकने में केंद्र सहित अन्य संबंधित एजेंसियां विफल रही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण राजधानी में रहने वाले लोगों का फेफड़े खासकर बच्चों के फेफड़े डैमेज हो चुके हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण के कारण, हरियाली खत्म हो रही है, पार्किंग खत्म हो रही है और प्रदूषण आदि के कारण दिल्ली की जनता नुकसान उठा रही है और बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. हमारे फेंफड़े तो डैमेज हो चुके हैं लेकिन आने वाले बच्चों के फेफड़े भी डैमेज हो जाएंगे.


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