यह ख़बर 30 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

अलग राज्य की मांग : दार्जिलिंग में बंद से सामान्य जनजीवन बाधित

खास बातें

  • खबरों में कहा गया कि दार्जिलिंग के चौकबाजार में जीजेएम समर्थकों के इकट्ठा होने से सभी दुकानें, बाजार, स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालय, बैंक और डाकघर बंद रहे। इसके अलावा कुर्सियांग और कलिमपोंग सब-डिविजन में भी जीजेएम समर्थक एकत्रित हुए।
दार्जिलिंग:

गोरखालैंड की मांग को लेकर दार्जिलिंग की पहाड़ियों में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के 72 घंटे के बंद के आह्वान के दूसरे दिन मंगलवार को भी सामान्य जनजीवन बाधित रहा।

खबरों में कहा गया कि दार्जिलिंग के चौकबाजार में जीजेएम समर्थकों के इकट्ठा होने से सभी दुकानें, बाजार, स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालय, बैंक और डाकघर बंद रहे। इसके अलावा कुर्सियांग और कलिमपोंग सब-डिविजन में भी जीजेएम समर्थक एकत्रित हुए।

जो कार्यालय बंद रहे उनमें जिलाधिकारी, प्रसार भारती और गोरखा क्षेत्रीय प्रशासन के कार्यालय शामिल थे। खबरों में कहा गया है कि 16 चाय बागानों और सिनचोना फैक्टरी में काम नहीं हुआ।

जीजेएम नारी मोर्चा समर्थकों सहित जीजेएम समर्थक रेलवे स्टेशन के नजदीक दार्जिलिंग के परंपरागत प्रवेश द्वार को नियंत्रित कर रहे थे।

सड़कों या राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 31-ए पर गाड़ियां नहीं थीं। यह राजमार्ग पश्चिम बंगाल से सिक्किम को जोड़ता हैं। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा बलों के दो और प्लाटून दार्जिलिंग की पहाड़ियों की तरफ जा रहे हैं, जहां रैपिड एक्शन फोर्स की सात कम्पनियां, दंगा पुलिस की पांच कम्पनियां और भारतीय रिजर्व बटालियन की दो कम्पनियां पहले से मौजूद हैं।

वहां फंसे विदेशी पर्यटकों में साइबेरिया के एक पर्यटक और ब्रिटेन के एक पर्यटक ने कहा कि उन्हें हड़ताल के बारे में नहीं मालूम और उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। घरेलू पर्यटक पहले ही पहाड़ों से जा चुके हैं।

जीजेएम प्रमुख बिमल गुरुंग ने सोमवार को चेतावनी दी थी कि अगर तेलंगाना को राज्य का दर्जा मिला तो गोरखालैंड की मांग के समर्थन में वह अपनी तीन दिनों की हड़ताल को अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल देंगे।

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उन्होंने घोषणा की थी कि वह एक-दो दिनों में जीटीए प्रमुख का पद भी छोड़ देंगे।