यह ख़बर 18 सितंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'हिन्दी, उर्दू की साझी तहजीब के नुमाइंदे हैं शहरयार'

खास बातें

  • बच्चन ने उर्दू के नामचीन शायर 'शहरयार' को ज्ञानपीठ पुरुस्कार से नवाजते हुए कहा कि वह हिन्दी, उर्दू की साझी तहजीब के नुमाइंदे हैं।
नई दिल्ली:

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने उर्दू के नामचीन शायर प्रो. अखलाक मोहम्मद खान 'शहरयार' को देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार ज्ञानपीठ से नवाजते हुए कहा कि वह हिन्दी, उर्दू की साझी तहजीब के नुमाइंदे हैं और उनकी शायरी के गहरे अर्थ हैं। अमिताभ ने कहा कि उर्दू कविता उनसे गौरवान्वित हुई है, वह डॉ. राही मासूम रजा की तरह ही हिन्दी उर्दू के बीच बनी एक काल्पनिक दीवार को तोड़ने के पक्षधर रहे हैं और वह वास्तव में हिन्दी उर्दू की साझी तहजीब के नुमाइंदे हैं। उन्होंने कहा कि शहरयार साहब ने 'फासले', 'अंजुमन', 'गमन' और 'उमराव जान' के गीतों के रूप में फिल्मों को नायाब मोती दिए हैं जो अपने आप में विराट जीवन दर्शन को समेटे हुए हैं जो गीत कभी पुराने नहीं पड़ते। अमिताभ ने कहा कि सीने में जलन, आंखों में तूफान सा क्यों है, इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है को सुनकर लोग बरबस रुक जाते हैं। उन्होंने कहा कि हम सब अलग तरह से अपना जीवन जीते हैं और जीवन की आपाधापी में व्यस्त रहते हैं, इसमें बहुत कम ऐसे अवसर मिलते हैं जब हम जीवन के गहरे अथरें को समझते हैं और उनसे साक्षात्कार करते हैं।


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