संघ विचारक की भविष्यवाणी, 2022 में NDA से राष्ट्रपति उम्मीदवार होंगे शरद पवार

संघ विचारक दिलीप देवधर ने महाराष्ट्र के पूरे राजनीतिक घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए दावा किया है कि महाराष्ट्र में शनिवार को भाजपा की सरकार गठन में शरद पवार (Sharad Pawar) की भी मौन सहमति है.

संघ विचारक की भविष्यवाणी, 2022 में NDA से राष्ट्रपति उम्मीदवार होंगे शरद पवार

शरद पवार (फाइल फोटो)

नई दिल्ली :

संघ परिवार पर 43 किताबें लिख चुके नागपुर के संघ विचारक दिलीप देवधर ने महाराष्ट्र के पूरे राजनीतिक घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए दावा किया है कि महाराष्ट्र में शनिवार को भाजपा की सरकार गठन में शरद पवार (Sharad Pawar) की भी मौन सहमति है. उन्होंने कहा कि भाजपा उन्हें 2022 में एनडीए की तरफ से राष्ट्रपति का दावेदार बनाकर इनाम भी दे सकती है. दिलीप देवधर ने शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के जल्द मोदी कैबिनेट का हिस्सा बनने की भी भविष्यवाणी की है. दिलीप देवधर कहते हैं एनसीपी के एक धड़े के साथ सरकार बनाने से संघ भी खुश है. शिवसेना के अड़ियल रवैये से संघ पदाधिकारी भी नाराज हैं. भाजपा में किसी बाहरी के आने से पार्टी के नेताओं को भले ही दिक्कत होती हो, मगर संघ अपने परिवार में बाहरियों के आने का हमेशा स्वागत करता है. वजह कि संघ को इसमें विस्तार दिखता है.  

महाराष्ट्र में घमासान: NCP और कांग्रेस विधायकों को ठहराया गया होटल में, SC में आज सुनवाई

दिलीप देवधर (Dileep Deodhar) कहते हैं कि चुनाव नतीजे आने के बाद आप शरद पवार के किसी बयान में भाजपा को लेकर जरा भी आक्रामकता नहीं पाएंगे. वह सियासत के बहुत चतुर खिलाड़ी हैं. दिलीप देवधर ने कहा, "जिस प्रकार बिहार में राजद के साथ असहज दिख रहे नीतीश कुमार को एनडीए में लाने का इनाम तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति के रूप में मिला, उसी तरह से महाराष्ट्र में सरकार गठन में मौन सहमति का इनाम शरद पवार को राष्ट्रपति बनाकर भाजपा दे सकती है." अगर शरद पवार की मौन सहमित रही तो फिर उन्होंने भतीजे अजित पवार को विधायक दल के नेता पद के साथ क्यों हटाया? इस सवाल पर दिलीप देवधर कहते हैं, "गठबंधन धर्म का पालन करते दिखने के लिए कुछ तो दिखावा करना ही पड़ेगा. याद रखना चाहिए कि सोनिया इटली की हैं- यही कहते हुए शरद पवार ने कभी कांग्रेस तोड़कर एनसीपी बनाई थी."  

अजित पवार ने क्यों छोड़ा चाचा शरद का साथ? पढ़ें- इनसाइड स्टोरी

दिलीप देवधर शरद पवार की सियासी चतुराई का एक और उदाहरण देते हैं. बताते हैं कि 2014 में शरद पवार ने बिना किसी शर्त के भाजपा को समर्थन देकर उसकी सरकार बनवा दी थी. भाजपा ने तब उनसे समर्थन भी नहीं मांगा था. जिससे शिवसेना की मोल-भाव करने की ताकत ही खत्म हो गई. बाद में शिवसेना गठबंधन करने को मजबूर हो गई थी. अंतर बस इतना है कि इस बार शरद पवार नए फॉमूर्ले के साथ बीजेपी की सरकार बनाने में परदे के पीछे से मदद कर रहे. दिलीप देवधर कहते हैं, "पवार महाराणा प्रताप नहीं बल्कि छत्रपति शिवाजी को आदर्श मानते हैं। महाराणा प्रताप कहते थे- प्राण जाई पर वचन न जाई, जबकि शिवजी कहते थे- सिर सलामत तो पगड़ी पचास. शरद पवार को भी मालूम है कि महाराष्ट्र में अधितम 40 से 60 के बीच ही उनकी पार्टी सीटें जीत सकती है. 

Congress-NCP और शिवसेना की याचिका पर सुनवाई : महाराष्ट्र जैसे 3 मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिए हैं ये आदेश

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

कांग्रेस का भविष्य फिलहाल भाजपा की तरह चमकदार नहीं है. ऐसे में कांग्रेस के बजाए बीजेपी के साथ जाने में ज्यादा फायदा है. भाजपा के साथ जाकर कांग्रेस और शिवसेना को कमजोर करने की रणनीति पर भी वह काम कर सकते हैं."
दिलीप देवधर कहते हैं कि जब 12 नवंबर को राज्यपाल ने रात आठ बजे तक एनसीपी को सरकार बनाने के लिए दावा करने का समय दिया था तो फिर शरद पवार को दोपहर साढ़े बारह बजे ही राज्यपाल को पत्र लिखकर यह सूचना देने की क्या जरूरत पड़ गई कि संख्या बल पूरा नहीं हो रहा और उन्हें तीन दिन चाहिए. उसी दिन प्रधानमंत्री को विदेश भी जाना था. ऐसे में दिन में ही राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भेज दी और विदेश जाने से पहले ही प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने उसे मंजूरी भी दे दी. यहीं से शरद पवार के रुख से कई संकेत मिलते हैं.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)