NRC, CAA पर ममता बनर्जी ने एनसीपी प्रमुख को लिखी चिट्ठी, शरद पवार ने दिया यह जवाब

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने ममता बनर्जी को पत्र लिखकर NRC और CAA के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन के प्रति अपना समर्थन व्‍यक्‍त किया है. 23 दिसंबर 2019 को ममता बनर्जी ने शरद पवार को पत्र लिखकर NRC और CAA पर समर्थन की अपील की थी.

NRC, CAA पर ममता बनर्जी ने एनसीपी प्रमुख को लिखी चिट्ठी, शरद पवार ने दिया यह जवाब

शरद पवार ने चिट्ठी लिखकर CAA और NRC पर ममता बनर्जी को समर्थन दिया है

खास बातें

  • CAA और NRC के खिलाफ ममता का आंदोलन
  • शरद पवार ने दिया समर्थन
  • पवार ने लिखी ममता को चिट्ठी
नई दिल्ली:

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने ममता बनर्जी को पत्र लिखकर NRC और CAA के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन के प्रति अपना समर्थन व्‍यक्‍त किया है. 23 दिसंबर 2019 को ममता बनर्जी ने शरद पवार को पत्र लिखकर NRC और CAA पर समर्थन की अपील की थी. ममता के पत्र के जवाब में शरद पवार ने 27 दिसंबर 2019 को एक पत्र भेजा जिसमें NRC और CAA के खिलाफ ममता बनर्जी द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन के प्रति अपना समर्थन व्‍यक्‍त किया है. शरद पवार ने अपने पत्र में लिखा है कि NRC और CAA के खिलाफ आपके द्वारा चलाए जा रहे मुहिम में मैं आपके साथ हूं.  ज्ञात हो कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी NRC और CAA के खिलाफ लगातार मुहिम चला रही है. ममता बनर्जी का कहना है कि वो किसी भी सूरत में NRC और CAA को अपने राज्‍य में लागू नहीं करने देगी. राज्‍य में निकट भविष्‍य में चुनाव होने है. समझा जा रहा है कि इस कारण से ही ममता इस मुद्दे को बनाए रखना चाह रही है.  उधर राज्‍य में बीजेपी भी CAA के समर्थन में लगातार रैली कर रही है. अभी कुछ समय पहले ही बीजेपी के कार्यकारी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने कोलकाता में रैली की थी. बीजेपी के वरिष्‍ठ नेता और पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय लगातार राज्‍य का दौरा कर रहे हैं और स्‍थानीय कार्यकर्ताओं के साथ अपने संपर्क को मजबूत करने में जुटे हैं. 

नागरिकता कानून (CAA) से जुड़ी अहम बातें

  1. इस कानून में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को आसानी से भारत की नागरिकता मिलेगी. नागरिकता हासिल करने के लिए उन्हें यहां कम से कम 6 साल बिताने होंगे. पहले नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम 11 साल बिताने का पैमाना तय था.
  2. पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और आस-पास के देशों के हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के वो लोग जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया था. वे सभी भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.
  3. ओसीआई कार्ड धारक यदि नियमों का उल्लंघन करते हैं तो केंद्र के पास उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार होगा. बता दें कि ओसीआई कार्ड स्थायी रूप से विदेश में बसे भारतीयों को दिए जाने वाला कार्ड है.


क्या है NRC

  1. एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस से पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं. जिस व्यक्ति का सिटिजनशिप रजिस्टर में नाम नहीं होता उसे अवैध नागरिक माना जाता है. देश में असम इकलौता राज्य है जहां सिटिजनशिप रजिस्टर की व्यवस्था लागू है.
  2. NRC को लागू करने का मुख्य उद्देश्य राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों खासकर बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करना है. इसकी पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही थी. इस प्रक्रिया के लिए 1986 में सिटीजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया गया.
  3. इसके तहत रजिस्टर में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 के पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं. आपको बता दें कि वर्ष 1947 में भारत-पाकिस्‍तान के बंटवारे के बाद कुछ लोग असम से पूर्वी पाकिस्तान चले गए, लेकिन उनकी जमीन असम में थी और लोगों का दोनों ओर से आना-जाना बंटवारे के बाद भी जारी रहा.
  4. इसके बाद 1951 में पहली बार एनआरसी के डाटा का अपटेड किया गया. इसके बाद भी भारत में घुसपैठ लगातार जारी रही. असम में वर्ष 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद भारी संख्‍या में शरणार्थियों का पहुंचना जारी रहा और इससे राज्‍य की आबादी का स्‍वरूप बदलने लगा.

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