शशि थरूर ने जो शायरी साझा की वो ग़ालिब की थी ही नहीं. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली : कांग्रेस नेता शशि थरूर को अंग्रेज़ी ज़बान के भारी भरकम शब्दों का इस्तेमाल करने में महारत हासिल है, लेकिन उर्दू शायरी के मैदान में उन्होंने क़दम रखने की कोशिश की तो लड़खड़ा गए. दरअसल, थरूर (Shashi Tharoor) ने ट्विटर पर तीन शेर लिखे जो यूं थे - 'ख़ुदा की मोहब्बत को फ़ना कौन करेगा? सभी बंदे नेक हों तो गुनाह कौन करेगा? ऐ ख़ुदा मेरे दोस्तों को सलामत रखना, वरना मेरी सलामती की दुआ कौन करेगा और रखना मेरे दुश्मनों को भी महफ़ूज़, वरना मेरी तेरे पास आने की दुआ कौन करेगा. ' थरूर ने आगे लिखा कि मिर्ज़ा ग़ालिब की 220वीं सालगिरह. कितने महान शेर.
हालांकि न तो मिर्ज़ा ग़ालिब की सालगिरह थी न ही ये शेर उनके थे. इसके बाद तमाम लोगों ने ट्वीट कर शशि थरूर (Shashi Tharoor) को इसकी जानकारी दी, जिनमें जावेद अख़्तर भी शामिल थे. जावेद अख़्तर (Javed Akhtar) ने ट्वीट कर कहा, 'शशि जी, जिस किसी ने आपको ये लाइनें दी हैं उसपर कभी भरोसा मत कीजिएगा. साफ़ है कि किसी ने ये लाइनें आपके ज़ख़ीरे में इस मक़सद से रख दीं ताकि आपकी साहित्यिक साख को नुक़सान पहुंचे.'
हालांकि बाद में शशि थरूर को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने माफी मांगी. थरूर ने ट्वीट कर कहा 'ग़ालिब मेरे पसंदीदा हैं, लेकिन आज उनका जन्मदिन नहीं है. मुझे गलत जानकारी दी गई थी.' थरूर ने आगे अपने ट्वीट में जावेद अख़्तर (Javed Akhtar) को टैग करते हुए लिखा, 'जावेद अख़्तर और अन्य दोस्तों का शुक्रिया जिन्होंने मुझे मेरी गलती का एहसास करवाया.'
शशि थरूर ने कहा कि जिस तरह हर अच्छा कोट विंस्टन चर्चिल का बताया जाता है, भले ही उन्होंने इसे नहीं कहा हो ठीक उसी तरह जब लोगों को कोई शायरी पसंद आ जाती है तो इसको ग़ालिब से जोड़ देते हैं. मैं माफी चाहता हूं. बता दें कि शशि थरूर के इस ट्वीट के जवाब में कई और लोगों ने भी ग़ालिब के नाम से गलत शायरी साझा की. कुछ ट्वीटर यूजर को जावेद अख़्तर ने इसकी जानकारी दी.