जानिए कौन हैं यूपी सरकार से सीधा भिड़ने वाले शिव कुमार पाठक?

जानिए कौन हैं यूपी सरकार से सीधा भिड़ने वाले शिव कुमार पाठक?

शिव कुमार पाठक

लखनऊ:

'नदी में रहकर मगरमच्छ से बैर' इस कहावत को चरितार्थ करने वाले इस शख्स का नाम है शिव कुमार पाठक जो पेशे से सरकारी शिक्षक हैं लेकिन पिछले चार साल से उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ 4 बड़ी कानूनी लड़ाई लड़ चुके हैं। यह शिव कुमार का दावा है। उप्र सरकार के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट (writ) दायर करने वाले इस टीचर को राज्य सरकार ने  कुछ दिन पहले ही बर्खास्तगी की चिट्ठी थमा दी। (अफसरों के बच्‍चों को सरकारी स्‍कूलों में पढ़ाने की मांग पर गई नौकरी)

सुल्तानपुर के एक प्रायमरी स्कूल में पढ़ाने वाले पाठक की एक याचिका पर ही पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यूपी के सभी जनप्रतिनिधि, सरकारी अफसर, कर्मचारी और जज अपने बच्चों को सरकारी प्राइमरी स्‍कूलों में पढ़ाएं वरना जुर्माना की रकम अदा करें। सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई करने वाले शिवकुमार को सरकारी नौकरी मिले अभी 7 महीने ही हुए थे।

इससे पहले सिविल सेवा की तैयारी में जुटे पाठक ने एनडीटीवी से बातचीत में दावा किया कि 'सरकार के खिलाफ 72 हजार से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती के एक मामले के दौरान ही मुझसे कह दिया गया था कि अब आपके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाएगी, आप खुद को इस केस से अलग कर लीजिये। मैंने सरकार के खिलाफ चार केस दर्ज किए हैं और चारों में ही सरकार को हार का सामना करना पड़ा है।'

पाठक का कहना है कि 32 साल के शिव कुमार पाठक की अनुपस्थिति को वजह बताते हुए उन्हें बर्खास्त किया गया है, लेकिन इस दलील को नाजायज़ बताते हुए वह कहते हैं कि आज़ाद हिंदुस्तान में अपना पक्ष रखने वाला व्यक्ति योग्य नहीं माना जाता है। अपनी बात पूरी करते हुए पाठक ने कहा 'मैं इसी प्रायवेट स्कूल वाले केस की सुनवाई के लिए ही कोर्ट गया था जिसके लिए मैंने स्कूल में अर्जी भी दी थी। इसके बावजूद मुझसे कहा गया कि आप अनुपस्थित हैं, आप न्यायालय जाते हैं इसलिए शिक्षक बनने के लायक नहीं है आप।'

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सरकार को लगातार चुनौती देने वाले शिवकुमार से जब पूछा गया कि क्या उन्हें नौकरी खोने का डर नहीं लगता तो उनका जवाब था - डर काहे का।