शिवराज सिंह चौहान के इस वीडियो संदेश के निकाले जा रहे हैं कई राजनीतिक मायने

शिवराज खुद नेता प्रतिपक्ष या अपने चहेते को यह जिम्मदारी दिलाना चाहते थे, मगर ऐसा हुआ नहीं. कभी शिवराज के खिलाफ सीधी अदावत रखने वाले गोपाल भार्गव को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया.

शिवराज सिंह चौहान के इस वीडियो संदेश के निकाले जा रहे हैं कई राजनीतिक मायने

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

खास बातें

  • केंद्र की राजनीति में नहीं आना चाहते थे शिवराज
  • पार्टी आलाकमान ने नहीं मानी बात
  • इस संदेश में निकाले जा रहे हैं कई मायने
नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  ने मकर संक्रांति की शुभकामनाएं देते हुए एक वीडियो संदेश जारी किया है. इस वीडियो संदेश में चौहान के पीछे की तरफ पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी की तस्वीर नजर आ रही है. इस वीडियो में आडवाणी की तस्वीर की मौजूदगी को राजनीतिक तौर पर अहम माना जा रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने प्रदेशवासियों को वीडियो संदेश के जरिए मकर संक्रांति की बधाई देते हुए कहा, "सभी देश और प्रदेशवासियों को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं. आज से सूर्य उत्तरायण हो जाएंगे. इस काल को पुण्य, शुभ और पवित्र काल माना जाता है. कहते हैं ये काल भगवान का काल माना जाता है. इसलिए मैं आप सब बहनों और भाइयों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं." चौहान के इस वीडियो संदेश में भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी की तस्वीर नजर आ रही है. इसके कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. अरसे बाद ऐसा मौका सामने आया है जब किसी नेता के पीछे सिर्फ आडवाणी की तस्वीर नजर आई है. चौहान की गिनती हमेशा से ही आडवाणी के करीबियों में होती रही है. चौहान लगभग 13 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाले रहे थे. पार्टी के सत्ता से बाहर होने के बाद चौहान नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में रहे, मगर उन्हें उसमें सफलता नहीं मिली. चौहान केंद्र की राजनीति में जाने के लिए तैयार नहीं थे उसके बावजूद उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. अब चौहान के वीडियो संदेश में आडवाणी की तस्वीर नजर आना पार्टी के भीतर चल रही खींचतान को जाहिर कर रहा है. 

 

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कमजोर होने लगे शिवराज 
बीते डेढ़ दशक में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब जो चाहा, वही हुआ. जिसे चाहा पार्टी की प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बनवाया और जिसे चाहा, उसे राज्य की सियासत से बाहर कर दिया, मगर बीते माह सत्ता छिनते ही पार्टी के लोगों ने उनकी हैसियत सीमित कर दी है. अब वे जो चाहते हैं वह होता ही नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री राज्य की सियासत में ही सक्रिय रहना चाहते थे और यही कारण है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद शिवराज ने अपने पहले ही बयान में साफ तौर पर ऐलान किया था, "मैं केंद्र में नहीं जाऊंगा, मध्य प्रदेश में जिऊंगा और मध्य प्रदेश में ही मरूंगा." शिवराज के इस बयान को एक माह का वक्त भी नहीं गुजरा था कि उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होने का संदेश मिल गया है. 

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पार्टी सूत्रों के अनुसार, शिवराज खुद नेता प्रतिपक्ष या अपने चहेते को यह जिम्मदारी दिलाना चाहते थे, मगर ऐसा हुआ नहीं. कभी शिवराज के खिलाफ सीधी अदावत रखने वाले गोपाल भार्गव को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया. विधानसभा चुनाव में मिली हार और उसके बाद दिए गए बयानों के बाद शिवराज विधानसभा के पहले सत्र में पूरी तरह सक्रिय दिखे, मगर पार्टी ने इसी बीच उन्हें उपाध्यक्ष बना दिया. इस पर कांग्रेस की ओर से तंज भी कसे गए. राज्य के जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा ने कहा कि 'राज्य से टाइगर को निष्कासित कर दिल्ली भेज दिया गया.' शर्मा का बयान शिवराज के उस बयान को लेकर आया, जिसमें उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा था, "आप लोग चिंता न करें, क्योंकि टाइगर अभी जिंदा है."