अब खाने की थाली को लेकर आपस में भिड़े शिवसेना और बीजेपी

अब खाने की थाली को लेकर आपस में भिड़े शिवसेना और बीजेपी

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की फाइल फोटो

मुंबई:

मुंबई से सटे मीरा भायंदर में खाने की थाली को लेकर शिवसेना-बीजेपी आपस में भिड़ गए हैं। कांग्रेस-एनसीपी भी शिवसेना के साथ हैं।

दरअसल 10 सितंबर से लेकर 28 सितंबर तक जैन समुदाय का पर्व पर्यूषण है। इस दौरान इलाके में सभी मांस की दुकानों को बंद रखने का फैसला महानगरपालिका ने 27 के मुकाबले 29 मतों से पारित कर दिया है। इलाके में 18 दिनों तक मटन-चिकन की दुकानें बंद रखने के फैसले का शिवसेना भी विरोध कर रही है।

इस पूरे मामले पर मीरा भायंदर की मेयर गीता जैन ने कहा, 'पर्यूषण का समय जैन समाज के लिए काफी पवित्र होता है जिसमें जैन लोग किसी भी जीव की हत्या को पाप मानते हैं। हमने किसी के खाने पर रोक नहीं लगाई है, सिर्फ जानवरों के कत्ल और खुलेआम बेचने पर 18 दिन की रोक लगाई है।'

मीरा-भायंदर महानगरपालिका में सत्ता बीजेपी की है, खाने की स्वंतत्रता का हवाला देकर उसके फैसले के खिलाफ शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी का हाथ थाम लिया है। शिवसेना की पार्षद नीलम धवन ने कहा कि बीजेपी वोट की राजनीति कर रही है।

उधर कांग्रेस के पार्षद जुबैर इनामदार का कहना है महासभा ने जो प्रस्ताव पास किया है वो गलत है, क्योंकि केंद्र सरकार ने पहले ही पर्यूषण के दौरान सभी मांस की दुकानों को दो दिन तक बंद रखने का फैसला किया हुआ है, जिसका पालन हर धर्म के लोग करते हैं।

इलाके में मांस का कारोबार करने वाले भी इस फैसले से नाखुश हैं। मटन के कारोबारी मोहम्मद क़ुरैशी का कहना है अगर 18 दिन दुकानें बंद रहेगी तो हमारा और हमारे यहां काम करने वाले लोगों का क्या होगा। महासभा का फैसला हमें मंजूर नहीं है, हम सिर्फ 2 दिन ही दुकानें बंद रखेंगे।

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मांसाहारी खाने को लेकर 1 जुलाई को मीरा भायंदर महानगर पालिका में बीजेपी, शिवेसेना और बाकी की राजनीतिक पार्टियों के बीच धक्कामुक्की तक हो चुकी है। विरोध करने के लिए शिवसेना के पार्षद, कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सभागृह में चिकन खाकर अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। गोवंश हत्या बंदी कानून लागू होने के बाद खाने की आजादी को लेकर महाराष्ट्र में पहले से बहस छिड़ी हुई है, ऊपर से ऐसे फैसले निश्चित तौर पर इस विवाद को नई हवा देंगे।