रोडरेज मामले में नवजोत सिंह सिद्धू पर जुर्माना, पंजाब में मृतक गुरनाम के गांव में सन्नाटा

पटियाला से सटे घलोड़ी गांव में गुरनाम सिंह के दोनों घरों में ताले लगे, पूरा परिवार फैसला आने से एक दिन पहले ही कहीं चला गया

रोडरेज मामले में नवजोत सिंह सिद्धू पर जुर्माना, पंजाब में मृतक गुरनाम के गांव में सन्नाटा

गुरनाम सिंह का फाइल फोटो, जिनकी 30 साल पहले नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा कथित रूप से मुक्का मारने पर मौत हो गई थी.

खास बातें

  • दिसंबर 1988 में कथित रूप से मुक्का मारने से हुई थी गुरनाम की मौत
  • पटियाला के कई बुजुर्गों को 30 साल पहले हुई घटना अब तक याद
  • मृतक गुरनाम सिंह के गांव में कोई भी मीडिया से बात करने को तैयार नहीं
पटियाला:

रोडरेज मामले में पूर्व क्रिकेटर और कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू पर सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना लगाया. इस घटना में मृत गुरनाम सिंह के पटियाला के समीप स्थित गांव में इस फैसले के बाद सन्नाटा देखने को मिला.   

15 मई की सुबह करीब 11:30 बजे पूर्व क्रिकेटर और नेता नवजोत सिंह सिद्दू को लेकर सुप्रीम कोर्ट को अपना फैसला सुनाना था. ये फैसला 30 साल पुराने रोडरेज के मामले को लेकर था. 14 मई की शाम जैसे ही ये जानकारी मिली कि फैसला 15 मई को आने वाला है, केवल पटियाला में ही नहीं बल्कि पूरे पंजाब में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया कि सिद्दू दोषी करार दिए गए तो उनका राजनीतिक करियर खत्म हो जाएगा. साफ है कि फैसला आने तक पंजाब के पर्यटन मंत्री  सिद्दू की भी सांसें अटकी रही होंगी.

 
sheronwala gate patiala
पटियाला का शेरोंवाला गेट

NDTV इंडिया सबसे पहले पहुंचा पटियाला की शेरोंवाला गेट इलाके में. सिद्दू का पुश्तैनी घर यहां से कुछ ही दूरी पर है. 27 दिसंबर 1988 को सिद्दू अपने घर से निकलकर इसी शेरोंवाला गेट के चौराहे पर पहुंचे थे, जहां उनकी जिप्सी एक मारुति कार से टच हो गई. दोनों पक्षों में झगड़ा हुआ और फिर कथित रूप से सिद्दू ने मारुति कार में सवार 65 साल के गुरनाम सिंह को एक जोरदार मुक्का मारा और मौके से भाग गए. इसके बाद बुज़ुर्ग गुरनाम सिंह की मौत हो गई. ये भी आरोप लगा कि सिद्दू गुरनाम सिंह की कार की चाबी ले गए जिससे गुरनाम को समय पर इलाज नहीं मिल पाया. सिद्दू उन दिनों शेरोंवाला गेट के बगल में बने स्टेट बैंक ऑफ पटियाला में नौकरी करते थे जो अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया हो गया है.
 
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शेरोंवाला गेट चौक पर मौजूद कई बुजुर्गों को 30 साल पहले हुई घटना अब तक याद है. सिद्दू पर पटियाला के सिविल लाइंस थाने में गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज किया.यह केस निचली अदालत में चलता रहा और सिद्दू इस बीच क्रिकेट की दुनिया में उभरते गए. साल 1999 में सिद्दू को निचली अदालत ने बरी कर दिया. सिद्दू ने पटियाला शहर छोड़ दिया और अमृतसर को अपना नया ठिकाना बना लिया. फिर वे राजनीति में आ गए, लेकिन 2006 में उन्हें तगड़ा झटका तब लगा जब पंजाब एंड चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी करार देते हुए तीन साल की सज़ा सुना दी और एक लाख का जुर्माना लगा दिया. सिद्दू इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए और अब सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें बड़ी राहत मिल गई. कोर्ट ने उन्हें आईपीसी की धारा 323, यानि मारपीट का दोषी माना और एक हज़ार रुपये का जुर्माना लगा दिया.

 
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यह फैसला जैसे ही पटियाला से करीब 260 किलोमीटर दूर सुप्रीम कोर्ट में पढ़ा गया, पटियाला से सटे घलोड़ी गांव में सन्नाटा छा गया. गांव में जो एक-दो लोग घरों के बाहर थे वे भी मीडिया कर्मियों के कैमरे देखकर घरों के अंदर चले गए. यह मृतक गुरनाम सिंह का गांव है. इस गांव में महज़ 8-10 आलीशान कोठियां हैं. गांव के सभी लोग बड़े किसान हैं. गुरनाम सिंह का परिवार भी उन्हीं में से एक है. गुरनाम सिंह की दो कोठियां हैं, लेकिन दोनों में ताला पड़ा हुआ था. उनके नौकर गेट के बाहर खड़े थे. पूछने पर घरेलू कर्मचारी दीपू ने बताया कि गुरनाम सिंह का पूरा परिवार फैसला आने से एक दिन पहले ही कहीं कार में सवार होकर चला गया है. कहां गया, उसे नहीं पता. शायद यह खौफ है एक ताकतवर इंसान के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने का.

गुरनाम के परिवार ने 1988 से इंसाफ की लड़ाई लड़ी और कोर्ट-कचहरी में लाखों रुपये खर्च भी किए होंगे. वे चाहते थे कि सिद्दू को उतनी ही सज़ा मिले जितनी किसी हत्या के दोषी को मिलती है.
 
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स्थानीय मीडिया कर्मियों से बात करने पर पता चला कि वे जब भी इस परिवार से बात करने आते हैं घरवाले खुद को घर में ही कैद कर लेते हैं. पिछले 30 सालों में घरवालों ने किसी भी मीडिया कर्मी से कोई बात नहीं की और न ही कोई बयान दिया. इस परिवार का फोकस शांत रहकर अपनी कानूनी लड़ाई लड़ने पर रहा और वह ये भी चाहते थे कि ये मामला कोई राजनीतिक मुद्दा न बने.

 VIDEO : पिछली सुनवाई में सुरक्षित रखा था फैसला

फैसले के बाद जहां सिद्दू के परिवार ने खुशियां मनाई वहीं ,सिद्दू ने बयान देना शुरू कर दिया. वहीं बार-बार संपर्क करने के बाद भी गुरनाम का परिवार सामने नहीं आया.

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