सिक्किम सेक्टर में भारत-चीन सीमा को अभी अंतिम रूप नहीं, डोकलाम में यथास्थिति बरकरार

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में जानकारी दी कि डोकलाम क्षेत्र से भारतीय और चीनी सीमा कर्मियों के हटने के बाद से वहां और आसपास के क्षेत्र में कोई नई घटना नहीं हुई

सिक्किम सेक्टर में भारत-चीन सीमा को अभी अंतिम रूप नहीं, डोकलाम में यथास्थिति बरकरार

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में जानकारी दी कि डोकलाम में यथास्थिति बरकरार है.

खास बातें

  • निष्पक्ष, तार्किक और परस्पर स्वीकार्य समाधान ढूंढने की कोशिश जारी
  • 28 अगस्त 2017 को डोकलाम क्षेत्र से भारत और चीन के सीमा कर्मी हटे
  • सीमाई क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए दोनों देशों के बीच सतत बातचीत
नई दिल्ली:

सरकार ने आज कहा कि सिक्किम सेक्टर में भारत-चीन सीमा को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है और सीमाई क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए वह विभिन्न स्थापित तंत्रों के जरिए चीन से संपर्क बनाए हुए हैं.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में गुरुवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि डोकलाम क्षेत्र से भारतीय और चीनी सीमा कर्मियों के हटने के बाद से वहां और आसपास के क्षेत्र में कोई नई घटना नहीं हुई है. इस क्षेत्र में यथास्थिति बनी हुई है. उन्होंने यह भी बताया कि भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधि सिक्किम सेक्टर सहित सीमा के प्रश्न का एक निष्पक्ष, तार्किक और परस्पर स्वीकार्य समाधान ढूंढने के लिए समग्र द्विपक्षीय संबंधों के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में सीमा मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत कर रहे हैं.

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सुषमा ने बताया कि भारत और चीन के सीमा कर्मियों के बीच भूटान के डोकलाम क्षेत्र में 16 जून 2017 को उस समय तनातनी शुरू हो गई थी जब चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का एक निर्माण दल उस क्षेत्र में घुस आया. इस दल ने भूटान और भारत दोनों के साथ अपने मौजूदा समझौतों का उल्लंघन करते हुए उस क्षेत्र में एक सड़क बनाकर यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया. एक प्रश्न के लिखित उत्तर में उन्होंने बताया कि भूटान और भारत दोनों देशों ने यथास्थिति को बदलने के उद्देश्य से चीन द्वारा की जा रही कार्रवाई रोकने के लिए मौजूदा प्रोटोकॉलों और समझौतों के अनुसार, चीन से बातचीत की. इन प्रयासों के विफल हो जाने के बाद भारतीय सीमा कर्मियों ने भूटान के साथ गहन परामर्श और समन्वय करते हुए सड़क निर्माण के काम को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया.

सुषमा ने बताया कि सतत राजनयिक प्रयासों के चलते 28 अगस्त 2017 को डोकलाम क्षेत्र से भारत और चीन के सीमा कर्मी हट गए. इससे चीन के सड़क निर्माण के बारे में भारत की चिंताओं और इस क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने के उद्देश्य से चीन की एकतरफा कार्रवाई का भी समाधान हुआ. विदेश मंत्री ने आगे बताया कि 28 अगस्त 2017 को डोकलाम क्षेत्र से भारतीय और चीनी सीमा कर्मियों के हटने के बाद से वहां और आसपास के क्षेत्र में कोई नई घटना नहीं हुई है. इस क्षेत्र में यथास्थिति बनी हुई है.

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सुषमा ने बताया ‘‘दिसंबर 2017 में चीन के विदेश मंत्री की भारत यात्रा के दौरान उनके साथ मेरी मुलाकात के समय भी यह मुद्दा उठाया गया था. तब हमने संतोष व्यक्त किया था कि इस मुद्दे का सम्मिलित राजनयिक माध्यमों से समाधान हो गया जो दोनों पक्षों की राजनैतिक परिपक्वता को दर्शाता है. मैंने दोहराया कि द्विपक्षीय संबंधों के निर्बाध विकास के लिए सीमाई क्षेत्रों में अमन तथा शांति बनाए रखना अनिवार्य एवं पूर्व शर्त है.’’ उन्होंने बताया कि सिक्किम सेक्टर में भारत चीन सीमा को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है और सीमाई क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के लिए सरकार सीमा कर्मियों की बैठकों, ध्वज बैठकों, भारत चीन सीमा मामलों पर परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्यकारी तंत्र की बैठकों तथा राजनयिक माध्यमों सहित विभिन्न स्थापित तंत्रों के जरिये चीन से संपर्क बनाए हुए हैं.

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विदेश मंत्री ने बताया कि भारत और चीन इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति उनके नेताओं के बीच हुई इस सहमति पर आधारित होनी चाहिए कि वैश्विक अनिश्चितता के समय, भारत-चीन संबंध स्थिरता का कारक हैं और दोनों देशों को अपने संबंधों की राह में मतभेदों को आड़े नहीं आने देना चाहिए.
(इनपुट भाषा से)


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