28 साल बाद सिस्टर अभया को मिला न्याय : मर्डर केस में पादरी और नन को कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद

केरल की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 28 साल पुराने सिस्टर अभया मर्डर केस में हत्या के दोषी पादरी और नन को उम्रकैद की सजा सुनाई है. मंगलवार को कोर्ट ने इस मामले में फादर थॉमस कोट्टूर और नन सिस्टर सेफी को सिस्टर अभया की हत्या का दोषी ठहराया था.

28 साल बाद सिस्टर अभया को मिला न्याय : मर्डर केस में पादरी और नन को कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद

1992 में सिस्टर अभया की कोट्टायम के एक कॉन्वेंट में हत्या कर दी गई थी.

तिरुअनंतपुरम:

केरल की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 28 साल पुराने सिस्टर अभया मर्डर केस (Sister Abhaya Murder Case) में हत्या के दोषी पादरी और नन को उम्रकैद की सजा सुनाई है. मंगलवार को कोर्ट ने इस मामले में फादर थॉमस कोट्टूर और नन सिस्टर सेफी को सिस्टर अभया की हत्या का दोषी ठहराया था. केरल के कोट्टायम के एक कॉन्वेंट में साल 1992 में हुई इस घटना में 28 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है.

सीबीआई कोर्ट ने कैथोलिक फादर थॉमस कोट्टूर और नन सिस्टर सेफी को इस हत्या के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोट्टूर को धारा 302 के तहत उम्रकैद के साथ पांच लाख का जुर्माना भरने की सजा दी गई है. वही, सबूत मिटाने के लिए सात सालों की जेल और कॉन्वेंट में गैर-अधिकृत तरीके से घुसने के लिए भी उम्रकैद की सजा मिली है.

वहीं, सिस्टर सेफी को भी धारा 302 के तहत मर्डर के लिए उम्रकैद के साथ 5 लाख जुर्माना भरने की सजा दी गई है. वहीं, सबूत मिटाने के लिए सात सालों की सजा मिली है. सिस्टर सेफी उस कॉन्वेंट का प्रभार संभालती थी, जहां सिस्टर अभया रहती थीं.

क्या है पूरा मामला?

मार्च, 1992 में कोट्टायम के एक कॉन्वेंट में 21 साल की सिस्टर अभया की तड़के सुबह हत्या कर दी गई थी क्योंकि उन्होंने थॉमस कोट्टूर, एक अन्य पादरी होज़े फूथराकयाल और सेफी के बीच अनैतिक गतिविधियों को देख लिया था. सीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, अपराध छिपाने के लिए इन्होंने सिस्टर अभया की हत्या कर उनका शव कॉन्वेंट के ही एक कुएं में फेंक दिया था.

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पहले-पहल इस घटना को खुदकुशी का मामला बताया गया था. पुलिस और क्राइम ब्रांच ने भी अपनी जांच में यही कहा था. लेकिन जांच में बुहत सी चीजें साफ नहीं हो रही थीं. बहुत विरोध के बाद इस केस को सीबीआई को दे दिया गया. दिलचस्प है कि सीबीआई ने कोर्ट में तीन फाइनल रिपोर्ट पब्लिश की थी, जिसे कोर्ट ने नकार दिया था. कोर्ट जांच के कई पहलुओं पर संतुष्ट नहीं था. सीबीआई की आखिरी रिपोर्ट देखने के बाद कोर्ट ने दोनों आरोपियों को हत्या का दोषी माना और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है. इस मामले में दूसरे पादरी फूथराकयाल को पिछले साल बरी कर दिया गया था.