राजनीति के 'जय श्री राम' से ममता बनर्जी का गढ़ का फतेह करने की तैयारी में बीजेपी

पांच सालों में आरएसएस बंगाल में बहुत ज्यादा सक्रिय हुआ और गांव-गांव शाखा लगाने की कोशिश शुरू होने लगी. संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने अच्छी-खासी जमीन तैयार कर ली है और अपनी ताकत इन लोकसभा चुनाव में दिखा दी है. बीजेपी के वोट शेयर में भी बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है. 

राजनीति के 'जय श्री राम' से ममता बनर्जी का गढ़ का फतेह करने की तैयारी में बीजेपी

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के खिलाफ 'जय श्री राम' का इस्तेमाल कर रही है बीजेपी

खास बातें

  • 'जय श्री राम' बन रहा है मुद्दा
  • ममता बनर्जी कई बार दे चुकी हैं प्रतिक्रिया
  • ममता बनर्जी को हो सकता है नुकसान
नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी  इस समय सोशल मीडिया में खूब चर्चा हो रही है. हाल ही में उनका एक वीडियो एक सामने आया है जिसमें वह 'जय श्री राम' का नारा लगाने वालों को कथित रूप से धमकाती नजर आ रही हैं. लेकिन ऐसा लग रहा है कि सीएम ममता बनर्जी बीजेपी की उसी जाल में फंसती नजर जा रही हैं जो पश्चिम बंगाल को फतेह करने  के लिए बीजेपी ने उनके लिए बिछा रखा है. बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में अपनी पुरानी रणनीति की तरह ममता बनर्जी को उसी पिच पर खेलने के लिए मजबूर कर दिया है जिसमें वह माहिर मानी जाती है. अब बीजेपी ने फैसला किया है कि वह बंगाल की सीएम को 10 लाख चिट्ठियां जय श्री राम लिखकर भेजने वाली है. दरअसल ममता बनर्जी लोकसभा चुनाव के बाद से थोड़ा हैरान भी हैं और बौखलाई भी. बीजेपी राज्य में 18 सीटें जीत चुकी है और ऐसा शायद पहली बार है कि बंगाल में जय श्री राम का नारा लगना अब आम बात सी होती जा रही है. आज से 10-15 साल पहले जब बंगाल की राजनीति में ममता बनर्जी वामदलों से लड़ रही हैं तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि राज्य में इस तरह भगवा लहर चलने लगेगी. इसके पीछे बहुत हद तक सीएम ममता बनर्जी के कुछ फैसले भी शामिल हैं जो हिंदू विरोधी होने की नजर से देखे जाते हैं. बीजेपी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में ही समझ लिया था कि बंगाल में उसके सामने बड़ी संभावना उभर रही हैं. दुर्गा पूजा और मोहर्रम के जुलूस को लेकर हुए विवाद और अदालत के फैसले से ममता सरकार की छवि मुस्लिमों की तुष्टिकरण वाली होती चली गई. दूसरी ओर इन पांच सालों में आरएसएस बंगाल में बहुत ज्यादा सक्रिय हुआ और गांव-गांव शाखा लगाने की कोशिश शुरू होने लगी. संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने अच्छी-खासी जमीन तैयार कर ली है और अपनी ताकत इन लोकसभा चुनाव में दिखा दी है. बीजेपी के वोट शेयर में भी बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है. 


हिंदू विरोधी छवि
मूर्ति विसर्जन के जुलूसों पर मोहर्रम के चलते लगाए प्रतिबंध से टीएमसी नेता और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की छवि पर असर पड़ा है. बीजेपी राज्य में इस बात को समझाने में कामयाब हो रही है कि राज्य में हिंदुओं की वही हितैषी है. आरएसएस की बढ़ती शाखाएं इस बात का प्रमाण है कि राज्य में पार्टी का जनाधार बढ़ता चला जा रहा है. दूसरी ओर ममता जय श्री राम का नारा लगाने वालों को खुलेआम धमकी दे रही हैं. 

केंद्र से टकराव 
ममता बनर्जी को केंद्र सरकार से बेवजह टकराव से महंगा पड़ सकता है. कुछ दिल पहले ही कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के मामले में उन्हें कोर्ट से झटका लग चुका है. चिटफंड घोटाले में फंसे टीएमसी नेताओं का बचाव भी उनके लिए ठीक नहीं है. इन घोटालों मे पैसा गंवा चुते लोग ज्यादातर पश्चिम बंगाल से भी हैं.  इनके लिए केंद्र टकराव से यह संदेश जा रहा है कि ममता बनर्जी इसमें शामिल आरोपियों को बचाना चाहती हैं. 

राज्य की हालत
पश्चिम बंगाल की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. सिंगूर में जिन लोगों ने जमीन अधिग्रहण का विरोध किया था वह भी अब मानते हैं कि उनसे गलती हो गई है. राज्य में बेरोजगारी और गरीबी बढ़ती जा रही है. नए उद्योगों का लगना बंद हो गया है. बीते 10 सालों में कोई बड़ी इंडस्ट्री राज्य में नहीं लगी है.

बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ संघर्ष
अब बीजेपी का अगला लक्ष्य पश्चिम बंगाल में सरकार बनाने का है और अब वह पश्चिम बंगाल की जनता का दिल जीतने के लिए सारी कोशिश करेगी. यही वजह है पीएम मोदी के शपथग्रहण समारोह में बीजेपी के उन 58 कार्यकर्ताओं के परिवार को भी बुलाया जो कथित रूप से राजनीतिक हिंसा मारे गए थे. इसके साथ ही राज्य में हिंदुत्व की राजनीति को और धार देने की कोशिश की जा रही है और इस बात की भी आशंका है जताई जा रही है कि टीएमसी और बीजेपी कार्यकर्तओं के बीच संघर्ष और बढ़ सकता है. जो ममता बनर्जी के लिए ठीक साबित नहीं होगा क्योंकि वह सत्ता में हैं, राज्य में कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी होगी और दूसरी ओर बीजेपी को लेकर सहानुभूति बढ़ती जाएगी. इसका खामियाजा टीएमसी लोकसभा चुनाव में पार्टी उठा चुकी है. 

कांग्रेस और कम्युनिस्ट वोटर बीजेपी की ओर
यहां एक और बात ध्यान देने वाली है कि जिन पार्टियों के कार्यकर्ता टीएमसी या ममता बनर्जी का विरोध करते हैं वह अब बीजेपी को एक नए विकल्प की ओर देख रही है. पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का कॉडर खत्म हो चुका है और 10 सालों से सत्ता बाहर वामदलों का कॉडर घर बैठने के बजाए बीजेपी के ही साथ जुड़ने में भलाई समझ रहा है. ऐसा लग रहा है कि राज्य में विधानसभा में अब सीधे लड़ाई टीएमसी और बीजेपी के बीच ही होगी. तीसरा शायद ही कोई बचे. 

'जय श्री राम' से बिगड़ सकता है खेल
'जय श्री राम' के सहारे बीजेपी 2 सीटों से 80 के करीब पहुंची और इसके बाद इसने हर राज्य में फॉर्मूला अपनाया और उसे सफलता भी मिली है. बीजेपी को लग चुका है कि 'जय श्री राम' का नारा पश्चिम बंगाल में काम कर सकता है और उसने अपने कॉडर को भी बोल दिया है कि विधानसभा चुनाव होने तक जय श्री राम का नारा लगाते रहें. तभी उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के मंत्री नंद कुमार नंद भी ट्विटर पर जय श्री राम का नारा लगा रहा हैं. वहीं ममता बनर्जी भी सफाई दे रही हैं कि उन्हें जय श्री राम से परहेज नहीं है लेकिन बीजेपी इसका राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है. लेकिन उनका मैसेज कहां तक पहुंचा होगा यह देखने वाली बात होगी. लेकिन हाल ही में जय श्री राम कहने वाले 10 युवकों को हिरासत में भी लिया गया था.

ममता बनर्जी के सामने जय श्री राम के नारे, हिरासत में लिए गए 10 युवा​

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