यह ख़बर 07 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

मुकेश सिंह सेंगर की कलम से : जाह्नवी की वापसी में असली 'हथियार' साबित हुआ सोशल मीडिया

नई दिल्ली:

इंडिया गेट से गायब हुई तीन साल की बच्ची जाह्नवी की वापसी हर किसी के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं। लेकिन शायद ये चमत्कार एक बेहतरीन प्लानिंग का भी नतीजा रहा।

28 सितंबर को जाह्नवी के गायब होने के बाद पुलिस कार्रवाई से हताश घरवालों को समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या करें। इंडिया गेट से मिली सीसीटीवी फुटेज में भी कुछ साफ नहीं दिख रहा था, लेकिन दुख की इस घड़ी में भी घरवालों ने धैर्य नहीं खोया।

परिवार ने बनाई टीमें

घरवालों और रिश्तेदारों ने आपस में अलग-अलग लोगों की टीमें बनाईं। जाह्नवी के मामा ने सोशल मीडिया की जिम्मेदारी संभाली। जबकि परिवार की दूसरी टीम के लोगों ने राजनीतिक लोगों और पुलिस अधिकारियों से मिलना शुरू किया। तीसरी टीम ने ऑटो और रिक्शों पर जाह्नवी के गायब होने के पोस्टर लगाने का काम शुरू किया और इसके लिए करीब 80 हजार पोस्टर छपवाए गए।

फेसबुक, ट्विटर और वॉट्स एप पर मुहिम

जाह्नवी के मामा जतिन कक्कड़ का कहना है कि 3 अक्टूबर को फेसबुक पर 'ब्रिंग बैक जाह्नवी' नाम से एक पेज बनाया गया और इसके लिए एक एनजीओ 'सलाम जिंदगी' की भी मदद ली गई। पेज की प्रोफाइल फोटो के लिए हाथों में मेहंदी लगाए जाह्नवी की ये मासूम तस्वीर को चुना गया, ताकि लोग इसे देखते ही इस पेज से जुड़ें। देखते−देखते यह तस्वीर वाइरल हो गई। हजारों लोगों ने इस पेज को लाइक किया और उसकी वापसी की दुआएं कीं। चार्टर्ड एकाउटेंट दिनेश गुप्ता भी इस अभियान से जुड़े, जिन्होंने जाह्नवी के गायब होने की खबर को 700 बार रीट्वीट किया। उनके ट्विटर एकाउंट पर करीब 10 हजार फॉलोअर्स हैं।

10 हजार फोन आए

जाह्नवी के घरवालों ने सोशल मीडिया में जिन मोबाइल नंबरों को शेयर किया था, उन पर एक हफ्ते में करीब 10 हजार फोन कॉल्स आए। जाह्नवी के मामा का कहना है कि इनमें जाह्नवी के सुराग से जुड़ी करीब 40 कॉल्स आईं, हालांकि इसका नतीजा कुछ नहीं निकला। मुंबई से कॉल करने वाले एक शख्स ने कहा कि जाह्नवी उसके पास है और अगर बच्ची वापस चाहिए, तो फिरौती के तौर पर एक करोड़ रुपये देने होंगे, लेकिन बाद में पता चला कि वह कॉल एक छोटे बच्चे ने मजाक में की थी।

ऐसे ही लालकिले के पास से किसी ने फोन किया कि जाह्नवी एक झाड़ी के पीछे कुछ अगवा हुए बच्चों के साथ बैठी है, लेकिन जाने पर पता चला कि वे बच्चे अपना स्कूल बंक कर आए हैं। जाह्नवी वहां नहीं मिली। ऐसी ही कई कहानियां एक हफ्ते के अंदर घरवालों ने देखीं और सुनीं। घरवालों के मुताबिक वह एक हफ्ते में कुछ ही घंटे सो पाए होंगे।

सड़कों पर चला अभियान

सोशल मीडिया से जुड़े लोग जाह्नवी की वापसी की मांग लेकर इंडिया गेट से लेकर जंतर मंतर तक इकट्ठे हुए। जब मामला सोशल मीडिया और मीडिया में जोरशोर से उठा तो गृहमंत्री से लेकर पुलिस कमिश्नर तक परिवार के संपर्क में आए।

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चौतरफा दबाब से लौटी जाह्नवी

घरवालों की मुहिम के बाद दिल्ली पुलिस ने 50 हजार का इनाम घोषित किया और चौतरफा दबाब के बाद आखिरकार कोई जाह्नवी को छोड़कर भाग गया।

जानलेवा साबित हो सकती थी मुहिम

एनजीओ 'संपूर्णा' की अध्यक्ष शोभा विजेंद्र का कहना है कि सोशल मीडिया एक बहुत बड़ा टूल है और पुलिस को भी ऐसे मामलों में इसका प्रयोग करना चाहिए। जाह्नवी के घरवालों का कहना है कि उन्हें मालूम था कि जाह्नवी की तस्वीरें लगातार मीडिया और सोशल मीडिया में चलने से किडनैपर उसे नुकसान भी पहुंचा सकते थे, लेकिन उनके पास और कोई रास्ता नहीं था।

वहीं पुलिस, बच्चों के गायब होने जैसे संवेदनशील मामलों में घरवालों की ऐसी मुहिम को ठीक नहीं मानती। पुलिस का कहना है जब ऐसे मामलों में प्रचार− प्रसार ज्यादा होता है, तो बच्चों को अगवा करने वाले पहचान और पकड़े जाने के डर से उन्हें मार देते हैं और खासतौर से तब, जब अगवा करने वाले बच्चे के जानकार हों।