यह ख़बर 01 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

पीएम के इस्तीफ़े की मांग से पीछे हटी बीजेपी; सोनिया-सुषमा ने की बात

खास बातें

  • पीएम के इस्तीफ़े की मांग से बीजेपी पीछे हट गई है। बीजेपी अब कह रही है कि कोल ब्लॉक आवंटन रद्द हों तो वह संसद चलने देगी। निष्पक्ष जांच की भी मांग है। सोनिया ने गतिरोध तोड़ने के लिए फोन पर सुषमा से बात की और सुषमा ने ये दोनों मांगें रखीं।
नई दिल्ली:

पीएम के इस्तीफ़े की मांग से बीजेपी पीछे हट गई है। बीजेपी अब कह रही है कि कोल ब्लॉक आवंटन रद्द हों तो वह संसद चलने देगी। निष्पक्ष जांच की भी मांग है। सोनिया ने गतिरोध तोड़ने के लिए फोन पर सुषमा से बात की और सुषमा ने ये दोनों मांगें रखीं।

स्वराज ने अपने ट्वीट में कहा, 'जी हां, सोनिया गांधी ने मुझे फोन किया... वह चाहती थीं कि संसद के कामकाज में आ रही बाधा ख़त्म हो और बीजेपी बहस के लिए तैयार हो जाए। मैंने सोनिया से कहा कि सरकार कोल ब्लॉक आवंटन रद्द करे और एक निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराए तब हम बहस के लिए तैयार होंगे।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से फोन पर बातकर कोयला आवंटन के मुद्दे पर संसद में चल रहे गतिरोध को दूर करने का रास्ता निकालने का प्रयास किया।

सुषमा ने इस बातचीत के बारे में ट्वीट किया, "मीडिया के दोस्त मुझसे लगातार पूछे जा रहे हैं कि क्या सोनिया गांधी ने मुझसे बात की और यदि बात की तो दोनों के बीच क्या बातचीत हुई। जी हां, सोनिया गांधी ने मुझसे फोन पर बात की। वह चाहती थीं कि चर्चा पर सहमति बने और संसद में जारी गतिरोध दूर हो। मैंने उनसे कहा कि सरकार पहले सभी कोयला ब्लॉक आवंटनों को रद्द करे और इनकी स्वतंत्र जांच की घोषणा करे। इसके बाद ही चर्चा पर सहमति बन सकती है।"

सुषमा का यह कहना इस बात का संकेत है कि पार्टी प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग से पीछे हटने और चर्चा को तैयार है बशर्ते कि सरकार कोयला ब्लॉक आवंटनों को रद्द करे और इनकी स्वतंत्र जांच की घोषणा करे। हालांकि पार्टी नेताओं ने शनिवार को दोहराया कि संसद की कार्यवाही तभी चलेगी जब प्रधानमंत्री इस्तीफा दे देंगे।

बहरहाल, यदि कांग्रेस भाजपा की शेष दो मांगों को मान लेती है तो संसद की कार्यवाही अगले सप्ताह चल सकती है। गतिरोध थामने के मद्देनजर भाजपा यदि अपने रुख से एक कदम पीछे हटती है तो कांग्रेस को भी उसकी मांगों के मद्देनजर पीछे हटना होगा तभी संसद में जारी गतिरोध थम सकेगा।

ज्ञात हो कि इस मुद्दे पर हंगामे के चलते संसद में पिछले दो हफ्ते से कार्यवाही नहीं हो रही है। भाजपा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे पर अड़ी हुई है जबकि कांग्रेस ने दो टूक कहा है कि प्रधानमंत्री के इस्तीफे का सवाल ही पैदा नहीं होता।

भाजपा ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे के अलावा दो अन्य मांगें भी रखी हैं, जिनमें सभी कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द किया जाना और इनकी जांच कराना शामिल है।

भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एम. वेंकैया नायडू ने चेन्नई में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जब तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस्तीफा नहीं दे देते तब तक उनकी पार्टी संसद नहीं चलने देगी। उन्होंने कहा कि जब तक प्रधानमंत्री इस्तीफा नहीं दे देते, सभी कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द नहीं किए जाते और निष्पक्ष जांच नहीं कराई जाती तब तक भाजपा इस लड़ाई को सड़कों पर लड़ेगी।

नायडू ने कहा, "जब तक प्रधानमंत्री अपना इस्तीफा नहीं दे देते हम संसद की कार्यवाही बाधित करते रहेंगे।" उन्होंने कहा कि इस सरकार को जाना चाहिए क्योंकि उसके राज में एक से बढ़कर एक घोटाले हुए हैं और वह आर्थिक और कृषि के मोर्चे पर भी विफल रही है। उन्होंने कहा, "जनता अब तय करेगी। इस गतिरोध को दूर करने की जिम्मेदारी सरकार की है।" उन्होंने कहा कि भाजपा जनता के समक्ष जाने को तैयार है जबकि कांग्रेस डरी हुई है।

भाजपा प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने कोलकाता में कहा कि पार्टी तब तक संसद की कार्यवाही नहीं चलने देगी जब तक कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर इस्तीफा नहीं दे देते।

हुसैन ने वामपंथी दलों और समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया मुलायम सिंह यादव की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि ये सभी दिखावे के लिए सरकार का विरोध कर रहे हैं।

इस बीच, योग गुरु बाबा रामदेव ने कोयला ब्लॉक आवंटन मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग करते हुए कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के खिलाफ दो अक्टूबर से अनशन आरम्भ करने की घोषणा की।

बाबा ने कहा कि कांग्रेस ने भ्रष्टाचार का रिकार्ड बनाया है और अब उसकी पोल खुल चुकी है। उन्होंने कहा, "142 कोयला ब्लॉक आवंटन में 200 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और जिन कम्पनियों को ये ब्लॉक आवंटित किए उनमें से अधिकांश का संबंध कांग्रेस से था या जिन्होंने कांग्रेस को भारी दलाली दी।"

रामदेव ने सवालिया लहजे में कहा, "यदि प्रधानमंत्री, जो कि 200 लाख करोड़ रुपये के इस भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार नहीं हैं, ईमानदार हैं तो फिर बेईमान कौन है।"

रामदेव ने यह भी मांग की कि कोयला ब्लॉक के लाइसेंस रद्द कर दिए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने नुकसान का जो अनुमान लगाया है वास्तविक नुकसान उससे कहीं ज्यादा हुआ है।

कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए बाबा ने कहा, "इसमें कई राजनीतिक दल शामिल हैं लेकिन कांग्रेस चूंकि सत्ता में है उसने इस मामले में स्वर्ण पदक जीता है।"

रामदेव ने कहा कि वह 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के खिलाफ दो अक्टूबर से एक आंदोलन शुरू करेंगे। उन्होंने हालांकि कहा कि वह राजनीति से नहीं जुड़ेंगे। उन्होंने कहा, "राजनीति हमारा एजेंडा नहीं है।"

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रामदेव ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रही है, और संप्रग सरकार उनके आश्रम व ट्रस्ट के खिलाफ साजिश रच रही है।