सोनिया-राहुल की अदालत में पेशी : कांग्रेस मुख्‍यालय का आंखों देखा हाल

सोनिया-राहुल की अदालत में पेशी : कांग्रेस मुख्‍यालय का आंखों देखा हाल

नई दिल्‍ली:

केंद्र में 10 साल सत्ता में हुकूमत के बाद लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार से मुरझाये कांग्रेस कार्यकर्ताओं के चेहरों और आवाज़ में दम देखने को मिला। केंद्रीय कांग्रेस पार्टी के दफ्तर में भारी भीड़ जमा थी, लोगों का लगातार कांग्रेस दफ्तर आना जारी था, दफ्तर के बाहर जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी, राजीव गांधी के बड़े-बड़े फोटो लेकर लोग लगातार ज़िंदाबाद के नारे लगा रहे थे।

वहीं रह-रह कर परिसर के अंदर सोनिया और राहुल गांधी ज़िंदाबाद के नारे गूंज रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे सोनिया गांधी ओर राहुल गांधी कोई बहुत बड़ी जंग फ़तेह करके लौट रहे हैं। दफ्तर के आस-पास सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम भी थे, दोनों तरफ गाड़ियों का आना-जाना पूरी तरह से रोक दिया गया था। मामला था नेशनल हेराल्ड केस में वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत सभी आरोपियों के दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश होने का। अदालत ने 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत प्रदान की। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई आगामी 20 फरवरी को दोपहर 2 बजे मुकर्रर की है।

 


मीडिया को खास तवज्जो
पूरे प्रोग्राम में मीडिया को खास तवज्जो दी गयी थी। सेवा दल के कार्यकर्ता जगह-जगह तैनात थे, आने वाले कार्यकर्ताओं को मुख्यालय के अंदर मैदान में भेजने का काम वो बखूबी निभा रहे थे, कई जगह कार्यकर्ताओं को जाने की मनाही थी। अगर कार्यकर्ता अपने दायरे को तोड़ते तो सेवा दल के सिपाही उनको रोकने से नहीं हिचकते, लेकिन मीडिया का नाम लेते ही उनको खास तवज्जो के बाद रास्ता आसानी से दे दिया जाता था।  

कैंटीन में खाना खत्म
कांग्रेस परिसर में कैंटीन आज भरी हुई थी, नाश्ते और खाने के लिए घंटों इंतज़ार करना पड़ा। दूर दराज़ से आने वाले सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ताओं को तब निराशा का सामना करना पड़ा जब कैंटीन में खाना खत्म हो गया और लोग भूख से बेहाल रहे, उनको खत्म हुई थाली की जगह नाश्ते से ही काम चलाना पड़ा। लोगों को डर था कि अगर खाना खाने पार्टी दफ्तर से बाहर गए तो अंदर नहीं आ सकते थे, क्योंकि सुरक्षा के मद्देनज़र परिसर में आने के लिए दरवाज़ा बंद कर दिया गया था।

मीडिया सेल की भूमिका
मीडिया सेल ने चैनलों के बीच बेहतर तालमेल बनाया, यही वजह है कि मुख्यालय में बने लगभग सभी कमरों में अलग-अलग टीवी चैनलों को जगह दी गई, जहां से बहस में पार्टी प्रवक्ताओं के अलावा बड़े नेता भाग ले सके। मीडिया सेल के गिरीश और विनेश परिसर में लगातार उन भूलक्कड़ नेताओं को यह याद कराने से नहीं चूक रहे थे कि उनको बहस में हिस्सा लेना है। लिस्ट के अनुसार छोटे से लेकर बड़े सभी चैनलों को बहस के लिए नेताओं को उपलब्ध कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई, वैसे नेता खुद भी मीडिया वालों से संपर्क कर बाइट दे रहे थे।

 


रायबरेली से आया जत्था
माथे पर हरे रंग और सफ़ेद रंग की रायबरेली जिला का नाम लिखी पट्टी पहने महिलाएं और पुरुष सोनिया गांधी की हिम्मत बढ़ाने के लिए लगातार नारे लगाते नहीं थक रहे थे। नन्हे बच्चे भी अपनी मां का साथ दे रहे थे। फोटो खिंचवाने का सिलसिला जारी था, कोई धूप का मज़ा लेने के लिए ज़मीन पर लेटा था तो कोई नेताओं के साथ फोटो खिंचवा रहा था।

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पार्टी की ओर से कार्यकर्ता तो कार्यकर्ता, मीडिया वालों के लिए भी खाने-पीने तक का इंतज़ाम नहीं किया गया। सभी को पानी पीने तक के लिए तरसना पड़ा। पार्टी की ओर से किसी भी तरह का कोई इंतज़ाम नहीं करने से लोगों में नाराज़गी थी। बच्चे लेकर दूर दराज़ से आयी महिलाओं को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। लोगो का मानना है कि चंद कदम पर घेरे के अंदर खड़े नेताओं को लाइव और बाईट देने में इस बात का ख्याल ही नहीं रहा कि खाना और पीने के लिए पानी की व्यवस्था होनी चाहिए।