दक्षिण रेलवे का यू-टर्न - सिर्फ हिन्दी या अंग्रेज़ी में बात करने का सर्कुलर वापस लिया

सर्कुलर में कहा गया है, स्टेशन मास्टरों को कंट्रोल ऑफिस से सिर्फ अंग्रेज़ी या हिन्दी में बात करनी चाहिए.

दक्षिण रेलवे का यू-टर्न - सिर्फ हिन्दी या अंग्रेज़ी में बात करने का सर्कुलर वापस लिया

प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली:

हाल ही में अलग-अलग भाषाओं में बात करने वाले रेलवे अधिकारियों के बीच कन्फ्यूज़न की वजह से एक हादसा होते-होते रह गया, जिसके बाद सावधानी बरतते हुए दक्षिण रेलवे ने सर्कुलर जारी कर अधिकारियों से सिर्फ अंग्रेज़ी या हिन्दी में बात करने को कहा था, लेकिन विपक्षी दलों DMK, PMK तथा DK द्वारा इसे 'हिन्दी को थोपे जाने की कवायद' करार दिए जाने के बाद इसे संशोधित कर दिया गया, और सिर्फ अंग्रेज़ी या हिन्दी में बात करने की बाध्यता खत्म कर दी.

पिछले सर्कुलर में कहा गया था, स्टेशन मास्टरों को कंट्रोल ऑफिस से सिर्फ अंग्रेज़ी या हिन्दी में बात करनी चाहिए. किसी भी क्षेत्रीय भाषा का इस्तेमाल करने से बचा जाना चाहिए, ताकि किसी भी पक्ष को समझ नहीं आने की स्थिति से बचा जा सके. अब जारी किए गए सर्कुलर में इस तरह बात करने के लिए कहा गया है, जिसमें किसी तरह का कन्फ्यूज़न न हो.

पिछले सर्कुलर में कहा गया था कि दक्षिण रेलवे के इस सुझाव का पालन मनोनीत अधिकारियों द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा. सर्कुलर में कहा गया था कि कंट्रोल ऑफिस तथा स्टेशन मास्टरों के बीच संपर्क को बेहतर बनाना इस सर्कुलर का उद्देश्य है.

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रेलवे की ओर से जारी सर्कुलर

गौरतलब है कि भारत के दक्षिणी हिस्से में प्रमुख रूप से चार भाषाएं - तमिल, तेलुगू, कन्नड़ तथा मलयालम - बोली जाती हैं, और अधिकतर दक्षिण भारतीय जनता इनमें से एक ही भाषा को अच्छी तरह जानती है. दूसरी ओर, विपक्ष ने इस सर्कुलर की आलोचना की है, क्योंकि दक्षिण भारतीय राज्यों, विशेषकर तमिलनाडु में आमतौर पर हिन्दी का विरोध किया जाता रहा है.

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हाल ही में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के तहत प्रस्तावित तीन-भाषा फॉर्मूले का तमिलनाडु में प्रमुख विपक्षी दल DMK समेत सभी पार्टियों ने कड़ा विरोध किया था, और आरोप लगाया था कि यह हिन्दी को थोपने की कोशिश है. इसके बाद सत्तासीन AIADMK की सरकार ने घोषणा की थी कि वह दो-भाषा फॉर्मूले को राज्य में जारी रखेगी.

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