यूपी के लिए क्या है अमित शाह का प्लान, आंकड़ों में देखिए BJP मजबूत या SP-BSP गठबंधन?

SP-BSP गठबंधन से यूपी में मुकाबले के लिए क्या है BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष Amit Shah की रणनीति, जानिए वोट शेयर के मामले में कौन किससे कितना है मजबूत?

यूपी के लिए क्या है अमित शाह का प्लान, आंकड़ों में देखिए BJP मजबूत या SP-BSP गठबंधन?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की फाइल फोटो.

खास बातें

  • यूपी के लिए क्या है अमित शाह का चुनावी प्लान
  • 2014 और 2017 के चुनाव के आंकड़ों में देखिए कौन कितना मजबूत
  • महागठबंधन से मुकाबले के लिए बीजेपी ने मिशन 51 प्लस का रक्षा लक्ष्य
नई दिल्ली:

राजनीति में यूं तो हमेशा दो और दो मिलकर चार नहीं होते. मगर जमाना डेटा का है. लिहाजा सियासी डेटा विश्लेषण तो बनता ही है.शायद, यही वजह है कि यूपी में गठबंधन के बाद अब राजनीतिक पंडित वोट शेयर के आधार पर भी बीजेपी और सपा-बसपा गठबंधन की मजबूती को आंक रहे हैं. कागज पर कौन-कितना मजबूत है, यह जानने के लिए राजनीतिक दलों के वोट शेयर पर गौर किया जा सकता है.उधर सपा-बसपा गठबंधन से पार पाने के लिए अमित शाह ने खास रणनीति बनाई है. यह रणनीति वोट शेयर से लेकर बूथ प्रबंधन से जुड़ी है. यूपी में हुए गठबंधन को  बीजेपी अपने लिए चुनौती मानती है. खुद यह बात राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी मानते हैं. कुछ मौकों पर उन्होंने यूपी की राजनीति पर बोलने के दौरान यह स्वीकार भी किया है कि गठबंधन से कुछ परेशानी खड़ी हो सकती है. मगर बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने इस चुनौती से निपटने के लिए जो प्लान तैयार किया है, उसे अब यूपी में बूथ लेवल पर उतारने की कोशिश हो रही है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी संगठन को बूथ प्रभारियों की मीटिंग लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष के प्लान को युद्धस्तर पर अमल में लाने की हिदायत दी गई है. 


बीजेपी का मिशन 51 प्लस
अमित शाह का मानना है कि बीजेपी गठबंधन पर तभी हावी हो सकती है, जब उसे 51 प्रतिशत वोट मिलें. यानी लोकसभा चुनाव में जीत के लिए सपा और बसपा गठबंधन के कुल वोट शेयर से ज्यादा वोट हासिल करने के प्लान पर बीजेपी काम कर रही है. कुछ दिनों पूर्व अमित शाह कह भी  चुके हैं कि उत्तरप्रदेश में भाजपा का वोट प्रतिशत पहले 45 प्रतिशत रहा है और सपा एवं बसपा का संयुक्त वोट प्रतिशत करीब 51 प्रतिशत होता है. ऐसे में भाजपा को 6 प्रतिशत के अंतर को पाटना है. हालांकि अमित शाह विपक्ष के जिस 51 प्रतिशत वोट बैंक की बात कर रहा है, उसमें कांग्रेस का भी वोट बैंक जुड़ा है. मगर अब कांग्रेस यूपी के चुनाव में अकेले उतरने जा रही है. अमित शाह के मुताबिक उनकी पार्टी ने प्रतिबद्धता के साथ इस अंतर को पाटने की तैयारी की है. बीजेपी के एक नेता ने एनडीटीवी को बताया कि पार्टी 2014 की तरह गैर यादव ओबीसी और गैर जाटव एससी मतदाताओं पर खासतौर से फोकस कर रही है. ताकि थोक कोर वोटबैंक के आत्मविश्वास से लैस सपा-बसपा के गठबंधन को उसी तरह से रोका जाए, जैसे 2014 और 2017 में जातीय वोटबैंक को तार-तारकर बीजेपी ने फतह हासिल की थी.

'बूथ जीतो, चुनाव जीतो'
अमित शाह चुनावों की रणनीति ऊपर से नहीं नीचे से बनाते हैं. पन्ना प्रभारी जैसी भूमिकाएं गढ़ने के लिए चर्चित अमित शाह ने यूपी में हर शहर-गांव के बूथों को सक्रिय करने का निर्देश दिया है. 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बूथ कमेटियां गठित हुईं थीं. मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में इन कमेटियों से सुस्त लोगों को बाहर कर नए लोगों को रखा गया है. लगभग बूथ कमेटियों को गठन हो चुका है. हर बूथ पर 50 ऊर्जावान लोगों की टीम बनाई गई है. इसमें ऐसे युवाओं को तरजीह दिया जा रहा है, जो स्मार्टफोन रखते तो हों मगर फेसबुक और ट्विटर की दुनिया से भी नाता रखते हैं. साथ ही बाइक भी हो. ताकि ब्लॉक(मंडल) स्तर पर होनी वाली बैठकों में बुलाने पर आसानी से पहुंच सकें. बूथ कमेटियों में भी जातीय समीकरणों का खासा ध्यान रखा जा रहा है. इसमें कम से कम 20 सदस्य अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के रखे गए हैं. ब्लॉक, तहसील और जिला स्तर पर संगठन पदाधिकारी नियमित अंतराल पर बूथ प्रभारियों की बैठकें लेकर ऊपर से आईं सूचनाओं और रणनीतियों से रूबरू कराते हैं. 

 यूपी में 2014 में किसका कितना वोट शेयर
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 42.30 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 80 में से 71 सीटें जीती थीं.बीजेपी के वोट शेयर में करीब 24.80 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला था. जबकि 22.20 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सपा को पांच और 19.60 वोट शेयर के साथ बसपा को शून्य सीटें मिलीं थीं. वहीं 7.50 प्रतिशत वोट शेयर के साथ कांग्रेस ने दो सीटें मिलीं थीं. सपा को पिछली बार की तुलना में 18 सीटें कम मिलीं तो बसपा को 20 सीटों का घाटा उठाना पड़ा. बसपा के वोट शेयर में 7.82 प्रतिशत की कमी और सपा के वोट शेयर में 1.06 प्रतिशत की कमी थी. 

2017 के विधानसभा चुनाव में दलों का वोट शेयर
बीजेपी ने 39.7 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 312, बसपा ने 22.2 प्रतिशत के साथ 19, सपा ने 22.0 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 47 सीटें जीतीं थीं. वहीं कांग्रेस ने 6.2 प्रतिशत वोट शेयर के साथ  7 सीटें जीतीं थीं. 1.8 प्रतिशत वोट शेयर के साथ रालोद को एक सीट मिली थी. वहीं एक प्रतिशत वोट शेयर के साथ अपना दल को नौ और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 0.7 प्रतिशत वोट शेयर के साथ चार सीटें मिलीं थीं. बीजेपी को पिछली बार की तुलना में 265 सीटों की वृद्धि हुई. वहीं सपा के खाते में 177 , बसपा को 61 और कांग्रेस को 21 सीट का नुकसान हुआ

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गठबंधन का देखिए वोट शेयर
अगर 2017 के विधानसभा चुनाव को देखें तो सपा,बसपा और रालोद का कुल वोट शेयर करीब 46 प्रतिशत होता है. वहीं कांग्रेस का वोट शेयर 6.2 प्रतिशत है. अगर कांग्रेस भी गठबंधन में शामिल होती तो यह वोट शेयर करीब 53 प्रतिशत हो जाता है. जबकि बीजेपी(39.7), अपना दल और भासपा का वोट शेयर करीब 41.4 प्रतिशत होता है. वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो सपा(22.20), बसपा(19.60) का कुल वोट शेयर 41.8 प्रतिशत होता है. वहीं कांग्रेस का 7.5 प्रतिशत वोट शेयर रहा. अगर कांग्रेस भी गठबंधन में होती तो यह वोट शेयर करीब 49.3 प्रतिशत होता है. जबकि बीजेपी(42.30) और अपना दल(1 प्रतिशत) का कुल वोट शेयर 43.30 प्रतिशत था.