प्रवासियों के स्पेशल ट्रेन का 85 फीसदी भार केंद्र वहन कर रहा है, राज्यों को बाकी 15 फीसदी देना है : सरकारी सूत्र

प्रवासियों को स्पेशल ट्रेन के जरिए उनके राज्यों तक पहुंचाने के लिए चलाई जा रहीं स्पेशल ट्रेनों के किराए के मामले में घिरी केंद्र सरकार से जुड़े सूत्रों ने सफाई दी है. उनका कहना है कि केंद्र पहले से ही सब्सिडी दे रही है.

प्रवासियों के स्पेशल ट्रेन का 85 फीसदी भार केंद्र वहन कर रहा है, राज्यों को बाकी 15 फीसदी देना है : सरकारी सूत्र

Special Shramik Train प्रवासियों के लिए चलाई जा रही हैं.

नई दिल्ली:

प्रवासियों को स्पेशल ट्रेन के जरिए उनके राज्यों तक पहुंचाने के लिए चलाई जा रहीं स्पेशल ट्रेनों के किराए के मामले में घिरी केंद्र सरकार से जुड़े सूत्रों ने सफाई दी है. उनका कहना है कि केंद्र पहले से ही सब्सिडी दे रही है.  मज़दूरों के लिए ट्रेन सोशल डिस्टेंसिग का ध्यान रखते हुए चलाई जा रही है इसलिए आधी भर कर ही चल रही हैं. इसका भार भी केंद्र पर ही है. इसके साथ ही मज़दूरों की स्क्रीनिंग के लिए डॉक्टर, सुरक्षा, रेलवे स्टाफ आदि का भी इंतज़ाम किया गया है.  कुछ राज्य जहां से ट्रेन चलना शुरू करेंगी वे यात्री किराया दे रही हैं जो कुल ख़र्च का 15% है.

सूत्र का कहना है कि मध्य प्रदेश ने ऐसा किया है. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसका ऐलान भी किया है.  महाराष्ट्र ने अभी तक ऐसा कोई ऐलान नहीं किया है. अधिकांश राज्य पिछले चालीस दिनों से मज़दूरों के खाने-पीने और रहने का इंतज़ाम कर रहे हैं.  ऐसे में उनके लिए ज्यादा ठीक यही है कि वे मज़दूरों को किराया देकर भेज दें.  लेकिन कुछ राज्य इसमें आगे नहीं आ रहे हैं. कांग्रेस का ऐलान सिर्फ दिखावा है. उनके शासन वाले राज्यों को आगे आना चाहिए. 

वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के किराया वहन  करने वाली बयान पर सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि रेलवे पहले से 85 फीसदी किराया वहन कर रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष होता कि वह पार्टी शाषित राज्य सरकारों को आदेश दे कि वे 15 फीसदी किराया वहन करें

सूत्रों ने बताया कि झारखंड में अब तक दो ट्रेनें पहुंची हैं और उसने किराए का पूरा भुगतान किया है. राजस्थान और तेलंगाना जैसे राज्य भी भुगतान कर रहे हैं.  महाराष्ट्र प्रवासियों को किराए का कुछ हिस्सा देने के लिए कह रही है. रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेन में स्लीपर श्रेणी के टिकट का किराया, 30 रुपए सुपर फास्ट शुल्क और 20 रुपए का अतिरिक्त शुल्क लगा रही है. 

रेलवे ने की ओर से जारी एक अधिसूचना के मुताबिक 'प्रत्येक श्रमिक स्पेशल ट्रेन का केवल एक गंतव्य होगा और यह बीच में नहीं रुकेगी. सामान्य तौर पर, श्रमिक स्पेशल ट्रेन 500 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए चलेंगी. ये ट्रेन गंतव्य से पहले बीच में किसी स्टेशन पर नहीं रुकेंगी. पूरी लंबाई वाली ट्रेन में यात्री भौतिक दूरी के नियम का पालन करते हुए बैठेंगे और बीच वाली सीट पर कोई नहीं बैठेगा.  इस तरह की प्रत्येक ट्रेन लगभग 1,200 यात्रियों को ले जा सकती है.'

दिशा-निर्देशों में कहा गया कि संबंधित राज्य यात्रियों के समूह को लेकर तदनुसार योजना तैयार करेगा। ट्रेन के लिए क्षमता के 90 प्रतिशत से कम मांग नहीं होनी चाहिए.  रेलवे निर्दिष्ट गंतव्यों के लिए संबंधित राज्य द्वारा बताई गई यात्रियों की संख्या के हिसाब से टिकट प्रकाशित करेगा और इन्हें स्थानीय राज्य प्राधिकार को सौंप देगा. 

जहां से ट्रेन चलेगी, संबंधित राज्य सरकार उस स्थान पर यात्रियों को भोजन के पैकेट और पेयजल उपलब्ध कराएगी.  इसने कहा, ‘‘सभी यात्रियों के लिए चेहरे पर मास्क लगाना अनिवार्य होगा. राज्य के अधिकारी यात्रियों को मास्क इस्तेमाल करने के बारे में परामर्श देंगे.

रेलवे ने कहा कि संबंधित राज्य यात्रियों को ‘आरोग्य सेतु' एप डाउनलोड करने के लिए प्रोत्साहित करेगा.  बारह घंटे से अधिक के गंतव्य की स्थिति में यात्रियों को एक बार का भोजन रेलवे द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा. 

गंतव्य पर पहुंचने के बाद राज्य सरकार के अधिकारी यात्रियों की अगवानी करेंगे और उनकी स्क्रीनिंग, जरूरी होने पर पृथक-वास और आगे की यात्रा से संबंधित सभी प्रबंध करेंगे. अगवानी करने वाला राज्य स्टेशन पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करेगा. 

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सभी क्षेत्रीय महाप्रबंधकों को जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि यदि किसी चरण में सुरक्षा, संरक्षा और स्वास्थ्य प्रोटाकॉल का उल्लंघन होता है तो रेलवे को श्रमिक स्पेशल ट्रेन को रद्द करने का अधिकार है.