तेजस्वी यादव की 10 लाख सरकारी नौकरियों की पेशकश से घबराए नीतीश कुमार
इसके बाद ऐसा लगा कि नीतीश कुमार कुछ शांत होंगे लेकिन वो नहीं रुके, ''यहां हल्ला मत कीजिए. अगर आप मेरे लिए वोट नहीं करना चाहते तो मत कीजिए. आप जिस वजह से यहां आए, आप जिस व्यक्ति के लिए आए हैं उनके ही वोटों को नष्ट कर देंगे.'
ऐसा लगता है कि तेजस्वाी यादव के सत्ता में आने पर 10 लाख सरकारी नौकरियों के वादे और उनकी रैलियों में उमड़ रही भारी भीड़ ने मुख्यमंत्री की नींद उड़ा दी है.
मंगलवार को नीतीश कुमार ने एक चुनावी रैली में तेजस्वी यादव के दावे का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि धरती पर कोई भी इस असंभव वादे को पूरा नहीं कर सकता.
10 लाख जॉब पर नीतीश का तंज- 'पैसा कहां से लाओगे..जेल से? पर तेजस्वी का जवाब
बुधवार को गोपालगंज के भोरे, सीवान के जीरादेई, जहांनाबाद, मसौढ़ी में चुनावी रैलियों को संबोधित कर रहे नीतीश कुमार ने विपक्षी नेताओं पर तंज करते हुए कहा था, ‘‘कुछ लोग केवल बयानबाजी करते रहते हैं. जिन्हें ‘क, ख, ग, घ' का ज्ञान नहीं है, वे काम करने की बात कर रहे हैं. आजकल कुछ लोग कह रहे हैं कि इतनी नौकरी देंगे..., लेकिन कहां से देंगे और इसके लिये पैसा कहां से आयेगा? उन्होंने कहा, ‘‘जब इतने लोगों (10 लाख लोगों) को नौकरी देंगे, तब बाकी को क्यों छोड़ देंगे.'' लालू प्रसाद के परोक्ष संदर्भ में कुमार ने कहा, ‘‘जिस कारण से जेल गए, क्या उसी पैसे से व्यवस्था करेंगे? जो काम हो ही नहीं सकता, उसके लिये पैसा कहां से आयेगा? नकली नोट लायेंगे या जेल से आयेगा पैसा.'' मुख्यमंत्री ने लोगों से कहा, ‘‘इससे भ्रमित होने की जरूरत नहीं है. हमने काम किया और राज्य को प्रगति के रास्ते पर लाए. मौका मिलेगा तब और काम करेंगे.''
नीतीश कुमार की सहयोगी अभी तक भीड़ की अनदेखी करती रही है. बुधवार को उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने आंकड़ों के साथ नौकरियों के वादे की हकीकत बताने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के कर्मचारियों के वेतन व अन्य मदों में 52,734 करोड़ रुपये का खर्च है. 10 लाख कर्मचारी और जुड़ जाएंगे तो यह खर्च 1.11 लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा.
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों को अपने चुनाव अभियान के दौरान जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है. यह पूरी तरह से आश्चर्य की बात नहीं है; प्रवासियों के संकट से निपटने के लिए नीतीश कुमार की आलोचना हुई थी, खासकर जब कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से जब अपनी नौकरियों से हाथ धो बैठे 32 लाख से अधिक लोगों को बिहार लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा था. इसके अलावा, भाजपा इस ओर इशारा करती है कि 15 साल बाद "बोरियत" होना तय है.
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