चीफ जस्टिस ने पूछा- क्या पराली के धुएं से मर जाएगा कोरोनावायरस? वकील ने दिया ये जवाब

पराली जलाने पर रोक वाली याचिका लॉ स्टूडेंट अमन बांका और एक बारहवीं कक्षा के छात्र आदित्य दुबे ने दाखिल की है. CJI एस ए बोबडे की बेंच सुनवाई कर रही है.

चीफ जस्टिस ने पूछा- क्या पराली के धुएं से मर जाएगा कोरोनावायरस? वकील ने दिया ये जवाब

पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध का निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली:

पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारों पर पराली जलाने (Stubble Burning) पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश (CJI) एस ए बोबडे ने मजाक करते हुए वकीलों से पूछा- "क्या पराली के धुएं से कोरोनावायरस (Coronavirus) मर जाएगा? वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कोर्ट से कहा कि वायु प्रदूषण के कारण होने वाले धुएं से कोरोना महामारी बढ़ जाएगी. पराली जलाने पर रोक वाली याचिका लॉ स्टूडेंट अमन बांका और एक बारहवीं कक्षा के छात्र आदित्य दुबे ने दाखिल की है. 

CJI एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई कर रही है. पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाओं के मद्देनज़र एमिक्स क्यूरी हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई का आग्रह किया था. 

सुप्रीम कोर्ट उस अर्जी पर भी सुनवाई के लिए तैयार हुआ है जिसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल की राहत MSP में जोड़ी जाए और इसे तब तक रोका जाए जब तक यह सत्यापित न हो कि किसान ने पराली नहीं जलाई है.

दरअसल, वायु प्रदूषण को गंभीरता से लेते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में निर्देशों को जारी किया था. राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया था कि आगे कोई पराली को जलाया ना जाए. इसके अलावा, कोर्ट ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में निर्माण और ढहाने की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया था. न्यायालय ने आगे प्रकाश डाला था कि किसानों को पराली जलाने के लिए दंडित करना अंतिम समाधान नहीं है, बल्कि उन्हें मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए. 

केंद्र सरकार और पंजाब, हरियाणा और यूपी की राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया कि वे पराली जलाने से रोकने के लिए एक व्यापक योजना तैयार करें. उन्हें विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को पराली हटाने की मशीनों के साथ- साथ कम्बाइन हार्वेस्टर्स, हैप्पी सीडर्स, हाइड्रॉलिकली रिवर्सिबल एमबी प्लॉ जैसी सुविधाएं नि: शुल्क या मामूली किराये के आधार पर उपलब्ध कराने के लिए एक योजना तैयार करने के लिए कहा गया था. 

याचिका में कहा गया है कि पराली जलाने से दिल्ली में वायु प्रदूषण लगभग 40-45 प्रतिशत तक बढ जाता है. इसलिए यह सुनिश्चित किया जाए कि कोविड -19 महामारी के मद्देनज़र दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर इस साल के दौरान विशेष रूप से पराली जलाने के सीजन में महत्वपूर्ण स्तर पर न पहुंचे. राज्यों को सितंबर, 2020 से जनवरी, 2021 के बीच की अवधि के दौरान पराली हटाने वाली मशीनों के किराये पर एक सीमा तय करने का निर्देश देने की मांग की गई है. 
राज्यों को सभी छोटे और सीमांत किसानों को उनके द्वारा ऐसी मशीनों को किराए पर लेने के के लिए खर्च की गई राशि का भुगतान करने के आदेश भी मांगे गए हैं. निजी खेतों से  पराली हटाने 'के काम को मनरेगा के तहत अनुमत कार्य की सूची में शामिल करने का निर्देश देना ताकि मनरेगा श्रमिकों का उपयोग पराली हटाने  को सुनिश्चित करने के लिए किया जा सके जहां मशीनें नहीं हैं. 

याचिका में कहा गया कि राज्य प्रत्यक्ष रूप से उन किसानों पर भारी जुर्माना / सज़ा का प्रावधान करें, जो अपने खेतों में पराली जलाते हैं. राज्यों द्वारा उन्हें पराली को हटाने के लिए उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं के लिए प्रेरित किया जाए. 

याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली सरकार को भी आदेश जारी करने को कहा है. दिल्ली-एनसीआर में सभी प्रदूषणकारी उद्योगों और निर्माण गतिविधियों को केवल उन दिनों में परिचालन में रहने दिया जा सकता है, जब सितंबर, 2020 से जनवरी, 2021 के बीच AQI स्तर 150 से कम है. इस AQI स्तर से ऊपर की वृद्धि के दौरान औद्योगिक और निर्माण गतिविधियों पर एक स्वचालित प्रतिबंध चालू हो सकता है, जो तब तक जारी रह सकता है जब तक AQI स्तर 150 से नीचे नहीं आता. यदि AQI का स्तर लगभग 200 बढ़ जाता है, तो वाहन यातायात के संबंध में दिल्ली सरकार की ऑड-ईवन नीति स्वतः ही चालू हो, और तब तक जारी रह सकती है जब तक AQI स्तर 150 से नीचे नहीं लौट जाता. 

वीडियो: पंजाब में फिर से पराली जला रहे हैं किसान
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