गोवा में 10 MLA के खिलाफ अयोग्यता मामले में SC ने फरवरी के दूसरे हफ्ते के लिए सुनवाई टाली

इन सभी विधायकों ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन बाद में वे बीजेपी के साथ चले गए थे. बता दें, यह याचिका गोवा प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने दाखिल की है.

गोवा में 10 MLA के खिलाफ अयोग्यता मामले में SC ने फरवरी के दूसरे हफ्ते के लिए सुनवाई टाली

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई फरवरी के दूसरे सप्ताह के लिए टाली (प्रतीकात्‍मक फोटो)

खास बातें

  • गोवा कांग्रेस की ओर से पेश हुए कपिल सिब्‍बल
  • कहा, स्‍पीकर को जल्‍द फैसला लेने का आदेश दे कोर्ट
  • पिछले साल बीजेपी में शामिल हो गए थे 10 MLA
नई दिल्‍ली:

गोवा (Goa Assembly) में 10 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता का मामले (Disqualification Petition) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई फरवरी के दूसरे सप्ताह के लिए टाली. गोवा कांग्रेस की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि पिछले डेढ़ साल से स्पीकर के.पास याचिका पेंडिंग है, लेकिन वे अयोग्यता पर फैसला नहीं ले रहे हैं. सिब्बल ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट स्पीकर को जल्द फैसला लेने का आदेश दे. सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें 10 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका पर गोवा विधानसभा के स्पीकर को एक महीने में फैसला करने के निर्देश देने की मांग की गई है.

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इन विधायकों में तीन वर्तमान मंत्री भी शामिल हैं जो पिछले साल जून में भाजपा (BJP) में शामिल हो गए थे. मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने गोवा प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष गिरीश चोडनकर की याचिका पर विधानसभा स्पीकर कार्यालय और 10 विधायकों को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब तलब किया था. दाखिल याचिका में चोडनकर ने अयोग्यता याचिका लंबित रहने के दौरान इन 10 विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने से रोकने के निर्देश देने की मांग की है. साथ ही तीन विधायकों चंद्रकांत कावलेकर, जैनिफर मोनसेराते और फिलिप रोड्रिग्स को याचिका के लंबित रहते मंत्री के तौर पर काम करने से रोकने के निर्देश देने की मांग भी की है.

इन सभी विधायकों ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन बाद में वे बीजेपी के साथ चले गए थे. बता दें, यह याचिका गोवा प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने दाखिल की है. जून में मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने विधानसभा स्पीकर को चार सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया था. याचिका के मुताबिक स्पीकर ने अयोग्यता का फैसला करने के लिए निर्धारित तीन महीने की समयसीमा का उल्लंघन किया है.

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