SC ने सीवीसी और सीवीओ की नियुक्ति के लिए केन्द्र को दी अनुमति

नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को केंद्रीय सतर्कता आयोग में सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयुक्त) और सीवीओ (केंद्रीय सतर्कता अधिकारी) की नियुक्ति पर आगे बढ़ने की अनुमति दे दी लेकिन अगर देखा जाए तो ये नियुक्तियां कोर्ट के अंतिम फैसले पर ही निर्भर करेंगी।

सरकार को नियुक्ति करने के बाद नियुक्ति संबंधी पूरा रिकार्ड सर्वोच्च अदालत के समक्ष रखना होगा जिसमें चयन समिति का फैसला भी शामिल है। दो वर्ष पहले सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया का रिकॉर्ड देखने के बाद पीजे थॉमस को सीवीसी बनाने के सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था।

थॉमस के खिलाफ पामोलीन आयात विवाद में केरल कोर्ट में एक केस लंबित था। इस रिकॉर्ड में कोर्ट ने पाया था कि चयन समिति के समक्ष यह रिकॉर्ड नहीं रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश देते हुए मामले को जुलाई के लिए स्थगित कर दिया।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रशांत भूषण को शॉर्ट लिस्ट लिए गए उम्मीदवारों की सूची देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह गोपनीय प्रक्रिया है। नियुक्ति होने दीजिए फिर हम पूरी प्रक्रिया का परीक्षण करेंगे।

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि पारदर्शिता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सीवीसी और सीवीओ के लिए देश भर में विज्ञापन निकाला जिसके जवाब में उन्हें 135 आवेदन प्राप्त हुए। इन आवेदनों की तमाम सुरक्षा तथा गोपनीय जांच की गई।

अधिकतर आवेदन पूर्व नौकरशाहों के हैं। इसके बाद एक विशेष तीन सदस्यी कमेटी जिसके सदस्य कैबिनेट सचिव, डीओपीटी सचिव और वित्तीय मामलों के सचिव हैं, ने जांच की और दोनों पदों के 10-10 आवेदनों को शॉर्टलिस्ट किया। अब इन नामों को प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और विपक्ष के नेता वाली चयन समिति के समक्ष रखा जाएगा। इसलिए कोर्ट इस बारे में आगे बढ़ने की आज्ञा दे।

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इसका प्रशांत भूषण ने विरोध किया और कहा कि शॉर्टलिस्टिंग की प्रक्रिया सरकार ने ही की है। तीनों सचिव सरकार के हैं इसलिए यह पारदर्शी नहीं हैं। लेकिन अटॉर्नी जनरल ने कहा कि ऐसा नहीं है, चयन सयमिति के सामाने शॉर्टलिस्ट वाले ही नहीं बल्कि सभी 135 नाम और उनके डाटा रखे जाएंगे।