यह ख़बर 04 अप्रैल, 2012 को प्रकाशित हुई थी

सरकार के भावी 'सेना प्रमुख' के खिलाफ जनहित याचिका!

खास बातें

  • अगले सेनाप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह को इस पद पर न बिठाए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसे फिलहाल कोर्ट ने नहीं स्वीकारा है।
नई दिल्ली:

सरकार के अगले सेना प्रमुख ले. जनरल बिक्रम सिंह को सेना प्रमुख न बनाए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। कोर्ट ने इसे अभी स्वीकारा नहीं है।

मई के अंत में जब सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह सेवानिवृत्त होंगे तब ले. जनरल बिक्रम सिंह को यह पद ग्रहण करना है। फिलहाल बिक्रम सिंह पूर्वी कमांड के प्रमुख  हैं।

यह याचिका नौसेना के पूर्व प्रमुक लक्ष्मीनारायण रामदास और पूर्व सेना के अधिकारियों के एक संघ ने दायर की है। इस याचिका में कहा गया है कि भावी सेना प्रमुख एक फर्जी एनकाउंटर में शामिल थे। इसके अलावा यह भी दावा किया गया है कि बिक्रम सिंह वर्ष 2008 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के दल में भी जब शामिल थे तब भी उनके अधिनस्थों पर महिलाओं पर अत्याचार के मामले दर्ज हुए और उन्होंने कोई भी कार्रवाई नहीं की थी।

याचिका में यह भी कहा गया है कि बिक्रम सिंह की पदोन्नति राजनीति से प्रेरित है। इस याचिका में कहा गया है कि इतने ऊंचे पर आसीन होने वाले व्यक्ति के पास बिना किसी दबाव के निर्णय लेनी की क्षमता होनी चाहिए।

बता दें कि मार्च 2001 में, कश्मीर के अनंतनाग के बाहरी इलाके में एक 60 वर्षीय बुजुर्ग की सेना ने कथित रूप से एक एऩकाउंटर में हत्या कर दी थी। बिक्रम सिंह उस वक्त राष्ट्रीय रायफल्स के प्रमुख के रूप में तैनात थ। इस एनकाउंटर में वह भी घायल हो गए थे और उन्हें बहादुरी का पुरस्कार भी दिया गया था। यही नहीं, इस मुठभेड़ में एक कर्नल और एक जवान की भी मौत हो गई थी।

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सेना ने तब यह दावा किया था कि जो आदमी मारा गया है वह विदेश आतंकवादी है और वांछित था। लेकिन कोर्ट में जब मामला पहुंचा तब अब्दुल्लाह भाट नाम के उस शख्य के परिजनों ने बताया कि वह एक गरीब मजदूर था जो रोज कमाने के लिए घर से बाहर जाता था।