सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- कहां हैं ग्रीन पटाखे? देर होने पर NEERI को फटकार

पिछले साल अगस्त में आश्वासन के बावजूद पटाखा निर्माताओं को ग्रीन पटाखे के फार्मूले को सौंपने में हुई देरी

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- कहां हैं ग्रीन पटाखे? देर होने पर NEERI को फटकार

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • श्रमिकों की आजीविका की रक्षा, प्रदूषण पर रोक के बीच संतुलन बनाना होगा
  • किसान पराली न जलाएं इसके लिए पंजाब-हरियाणा कोई सब्सिडी दे सकते हैं?
  • पटाखा निर्माताओं ने कहा- 974 पटाखा फैक्ट्रियों में 4 लाख कामगार बेरोजगार
नई दिल्ली:

दिल्ली एनसीआर में पटाखों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि ग्रीन पटाखे कहां हैं? पिछले साल अगस्त में आश्वासन के बावजूद पटाखा निर्माताओं को ग्रीन पटाखे के फार्मूले को सौंपने में देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) को फटकार लगाई.

जस्टिस एके सीकरी ने कहा कि हमने इस सोच पर प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था कि कुछ वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी. अगर आप इस तरह से देरी करते हैं तो किसी तरह का रास्ता निकालना होगा. श्रमिकों की आजीविका की रक्षा करने और  पटाखे चलाने पर कोई प्रदूषण न हो इसके बीच कोई संतुलन बनाना होगा.

शिवकाशी के पटाखा निर्माताओं ने कहा कि 974 पटाखा फैक्ट्रियों में चार लाख कामगारों की नौकरी चली गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार से भी पूछा कि किसान पराली न जलाएं इसके लिए उन्हें कोई सब्सिडी दी जा सकती है या नहीं?  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें किसानों के दुख को भी देखना चाहिए. वे पराली ना जलाएं इसके लिए उनकी मदद की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट 26 फरवरी को इस मामले की अगली सुनवाई करेगा.

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प्रदूषण और  देशभर में पटाखे पर बैन को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. पिछली सुनवाई में दिवाली और अन्य त्योहारों के अवसर पर पटाखे चलाने के लिए रात आठ बजे से 10 बजे (दो घंटे) की समय सीमा निर्धारित करते हुए देशभर में कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाले ग्रीन पटाखे बनाने की अनुमति दे दी गई थी. कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली एनसीआर में सिर्फ ग्रीन पटाखे ही चलेंगे, इनके अलावा यहां अन्य पटाखों की बिक्री नहीं की जाएगी और लड़ी वाले पटाखे बिल्कुल नहीं बिकेंगे. इन आदेशों का पालन स्थानीय थाना प्रभारी करवाएंगे जिसमें विफल रहने पर उनके खिलाफ कार्रवाई होगी.

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कोर्ट ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण बोर्ड से 14 दिनों (दिवाली से सात दिन पूर्व तथा सात दिन बाद) का अध्ययन करने को कहा. वे देखेंगे कि वातावरण में बेरियम, एल्युमिनियम और आयरन तथा अन्य प्रदूषक तत्वों का क्या स्तर है.