पुलिसकर्मियों की भर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को रवैये पर जताई नाराजगी

पुलिसकर्मियों की भर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को रवैये पर जताई नाराजगी

नई दिल्ली:

देश में पुलिसकर्मियों की भर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के रवैए पर नाराजगी जताई है. CJI खेहर ने कहा कि कानून व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए पुलिस के सभी पदों पर नियुक्तियां जरूरी हैं. कानून-व्यवस्था का काम बहुत ज्यादा है और पुलिसकर्मा बहुत कम हैं. इतने कम स्टाफ के जरिए ज्यादा काम कैसे किया जा सकता है. सभी राज्यों के होम सेक्रेट्री तीन हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल कर कोर्ट को बताएं कि पुलिसकर्मियों की नियुक्ति के लिए वह क्या कर रहे हैं? कितने पद खाली हैं?

केंद्र सरकार एक हफ्ते के भीतर सभी राज्य सरकारों को कोर्ट का आदेश भेजे. साथ ही कोर्ट ने चेतावनी ही है कि जो राज्य हलफनामा दाखिल नहीं करेंगे उनके होम सेक्रेट्री कोर्ट में तलब होंगे.

जस्टिस खेहर ने कहा कि 2015 का रिकॉर्ड बताता है कि देश में 4 लाख 33 हजार पुलिसकर्मियो की कमी है. 2014 में छत्तीसगढ़ का कहना था कि उनके यहां 3800 पद खाली हैं और अब सरकार बता रही है कि 10000 पुलिसकर्मियों की नियुक्ति होनी है. ऐसे में अब सब राज्य कोर्ट को बताएं कि उनके यहां कितने पद खाली हैं और क्या हो रहा है. 27 फरवरी को अगली सुनवाई होगी,

दरअसल, कोर्ट देशभर की पुलिस के लिए कल्याणकारी योजनाओं के लिए दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है. याचिका में कहा गया है कि सभी सरकारी विभागों के लिए कमिशन बनाए गए हैं और सुविधाएं दी जा रही हैं, लेकिन पुलिस को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. देश में करीब 50 फीसदी पुलिसकर्मियों की कमी है और पुलिसवालों के लिए आवास और अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं. इसकी वजह से कानून व्यवस्था को बनाए रखने में दिक्कत हो रही है.

 


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