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खास बातें
- सुप्रीम कोर्ट में आरुषि-हेमराज डबल मर्डर केस मामले में तलवार दंपति की अर्जी खारिज हो गई है। अब उन्हें निचली अदालत में गवाही देनी होगी, जिसके वह खिलाफ थे।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज दंतचिकित्सक राजेश तलवार और उनकी पत्नी नूपुर की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने आरुषि-हेमराज हत्याकांड मामले की सुनवाई में 14 गवाहों को तलब करने की मांग की थी।
न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति दीपक मिसरा की पीठ ने निचली अदालत के फैसले को तलवार दंपति द्वारा सीधे अपने समक्ष चुनौती दिए जाने पर भी कड़ी आपत्ति जताई और उनसे हाईकोर्ट से संपर्क करने को कहा।
पीठ ने कहा, हमारा इरादा ऐसे संवेदनशील मामले में हस्तक्षेप का नहीं है। सीधे सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करना गलत प्रक्रिया है। आज के आदेश के बाद निचली अदालत अब तलवार दंपति के बयान दर्ज करने की अपनी कार्रवाई के साथ आगे बढ़ सकती है।
तलवार दंपति के खिलाफ उनकी किशोरवय बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या के मामले में सुनवाई चल रही है।
सीबीआई की विशेष अदालत ने एडीजी (कानून और व्यवस्था) तथा सीबीआई के संयुक्त निर्देशक अरुण कुमार सहित 14 अतिरिक्त गवाहों को बयान दर्ज कराने के लिए बुलाने का तलवार दंपति का आग्रह खारिज कर दिया था। तब तलवार दंपति ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष सीबीआई अदालत के इस फैसले को चुनौती दी थी।
निचली अदालत ने 6 मई को तलवार दंपति की याचिका खारिज करते हुए मामले के मुख्य आरोपियों राजेश एवं नूपुर के बयान दर्ज करने का आदेश दिया था। सीबीआई के जांच अधिकारी एजीएल कौल मामले में अभियोजन पक्ष के अंतिम गवाह हैं और उनका बयान पहले ही दर्ज किया जा चुका है।
जांच एजेंसी का पक्ष है कि पांच साल पहले 14 वर्षीय आरुषि को उसके ही अभिभावकों ने मार डाला था और कोई बाहरी व्यक्ति वहां मौजूद नहीं था।
सीबीआई जांच की अगुवाई करने वाले कौल ने विशेष अदालत में अपनी गवाही में कहा कि एजेंसी की जांच में तलवार दंपति के आवास में किसी तीसरे व्यक्ति के प्रवेश के कोई प्रमाण नहीं मिले। 16 मई 2008 की रात आरूषि अपने बेडरूम में मृत पाई थी और उसका गला कटा हुआ था।
आरुषि की हत्या का शुरुआती संदेह उनके घर के नौकर हेमराज पर गया, लेकिन बाद में उसका शव नोएडा के जलवायु विहार स्थित तलवार दंपति के आवास की छत पर मिला।