SC ने पंजाब के पूर्व DGP को दी जमानत, पूर्व IAS के बेटे के अपहरण का है आरोप

मामला 1990 के दशक का है, जब सुमेध सिंह सैनी चंडीगढ़ के एसएसपी थे. 1991 में उन पर एक आतंकी हमला हुआ था. उस हमले में सैनी की सुरक्षा में तैनात चार पुलिसकर्मी मारे गए थे, जबकि सैनी खुद भी जख्मी हो गए थे. उस केस के संबंध में पुलिस ने सैनी के आदेश पर पूर्व आईएएस ऑफिसर दर्शन सिंह मुल्तानी के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी को उठा लिया था.

SC ने पंजाब के पूर्व DGP को दी जमानत, पूर्व IAS के बेटे के अपहरण का है आरोप

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को बड़ी राहत देते हुए उन्हें अग्रिम जमानत दे दी है.

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी (Sumedh Singh Saini) को बड़ी राहत देते हुए उन्हें अग्रिम जमानत दे दी है. सैनी पर एक पूर्व आईएएस अधिकारी के बेटे के अपहरण का 29 साल पुराना मामला चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट में सुमेध सिंह सैनी की याचिका पर जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने सुनवाई पूरी की थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था. तब सुप्रीम कोर्ट ने इशारा किया था कि वो सैनी को राहत देगा क्योंकि ये 30 साल पुराना केस है. पंजाब सरकार ने इसका विरोध किया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सैनी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. 

पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी. पंजाब सरकार ने कोर्ट में अर्जी दखिल कर कहा है कि कोर्ट बिना राज्य सरकार का पक्ष सुने कोई आदेश जारी न करे.  इससे पहले 7 सितंबर को अग्रिम जमानत तथा सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी से जांच करवाने की मांग को लेकर दाखिल दो अलग-अलग याचिकाओं को खारिज करते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सैनी को बड़ा झटका दिया था .अग्रिम जमानत की मांग खारिज होने के बाद सैनी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी. 

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हाईकोर्ट में जस्टिस फतेहदीप सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था और फिर अपना फैसला सुनाते हुए सैनी की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया था. 

बता दें कि पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी 1991 के बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण मामले में आरोपी हैं. पहली याचिका में सैनी ने मामले की पंजाब से बाहर किसी अन्य जांच एजेंसी या सीबीआई से जांच की मांग की थी. सैनी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उनके खिलाफ मोहाली पुलिस ने मटौर थाने में 6 मई को एफआईआर दर्ज की है जो पूरी तरह से राजनीतिक रंजिश के तहत दायर की गई है. इस एफआईआर पर पंजाब पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती है, लिहाजा इस मामले की सीबीआई या राज्य के बाहर की किसी जांच एजेंसी से जांच करवाई जाए.
 
दूसरी याचिका में सैनी ने मोहाली की ट्रायल कोर्ट द्वारा 1 सितंबर को उनकी अंतरिम जमानत को खारिज किए जाने के खिलाफ दायर की थी. सैनी ने न्यायालय से अग्रिम जमानत की अपील की थी.  इस याचिका में सैनी ने कहा कि एफआईआर जिस घटना से जुड़ी है, वह 29 साल पुरानी है. इस मामले में मोहाली जिला अदालत उसे 11 मई को अग्रिम जमानत भी दे चुकी थी. बाद में पुलिस ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर में धारा-302 को भी जोड़ दिया. इसके बाद मोहाली की ट्रायल कोर्ट ने 1 सितंबर को उन्हें दी गई अंतरिम जमानत खारिज कर दी.

क्या है ये है मामला?
मामला 1990 के दशक का है, जब सुमेध सिंह सैनी चंडीगढ़ के एसएसपी थे. 1991 में उन पर एक आतंकी हमला हुआ था. उस हमले में सैनी की सुरक्षा में तैनात चार पुलिसकर्मी मारे गए थे, जबकि सैनी खुद भी जख्मी हो गए थे. उस केस के संबंध में पुलिस ने सैनी के आदेश पर पूर्व आईएएस ऑफिसर दर्शन सिंह मुल्तानी के बेटे बलवंत सिंह मुल्तानी को उठा लिया था. पुलिस ने उसे हिरासत में रखा और फिर बाद में कहा कि वह पुलिस की गिरफ्त से भाग गया. इस दौरान उसकी मौत हो गई जबकि परिजनों का कहना था कि बलवंत की पुलिस टॉर्चर से मौत हो गई. 

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 साल 2008 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देशों पर चंडीगढ़ सीबीआई ने इस मामले में जांच शुरू की, जिसके बाद 2008 में सीबीआई ने सैनी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी आधार पर सीबीआई की एफआईआर को खारिज कर दिया था, लेकिन नए तथ्य पर पंजाब पुलिस ने 7 मई 2020 को सैनी के खिलाफ आईपीसी की धारा 364 (अपहरण या हत्या के लिए अपहरण), 201 (साक्ष्य मिटाने के कारण), 344 (गलत तरीके से कारावास), 330 और 120बी (आपराधिक साजिश रचना) के तहत केस दर्ज कर लिया था.