सुप्रीम कोर्ट करेगा पशुओं के वध करने को लेकर जारी नोटिफिकेशन के विरोध में दायर याचिका पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट इस नोटिफिकेशन पर रोक वाले मदुराई हाईकोर्ट के फैसले को आगे बढ़ाते हुए देशभर में रोक लगा चुका है.

सुप्रीम कोर्ट करेगा पशुओं के वध करने को लेकर जारी नोटिफिकेशन के विरोध में दायर याचिका पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट करेगा पशुओं के वध संबंधी एक याचिका पर सुनवाई (प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार द्वारा पशुओं को वध के लिए बेचने ओर खरीदने को लेकर जारी अधिसूचना के विरोध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. हालांकि पहले ही सुप्रीम कोर्ट इस नोटिफिकेशन पर रोक वाले मदुराई हाईकोर्ट के फैसले को आगे बढ़ाते हुए देशभर में रोक लगा चुका है. वहीं केंद्र ने कहा था कि वो इस कानून को लागू नहीं कर रही और तमाम राज्यों से बात करने के बाद फिर से नोटिफिकेशन जारी करेगी.

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एक्टिविस्ट गौरी मुलेखी और अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर उस आदेश में संशोधन करने की मांग की है जिसमें नोटिफिकेशन पर रोक लगाने के मदुराई बेंच के आदेश पर मुहर लगाते हुए देश भर में रोक लगा दी थी याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने नोटिफिकेशन के नियम में से लाइवस्टाक मार्केट के नियम पर रोक लगाई थी जबकि एनिमल केयर नियमों पर कुछ नहीं हुआ. ऐसे में एनिमल केयर नियमों पर भी रोक नहीं  लगनी चाहिए.

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हैदराबाद निवासी याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी और कहा था कि केंद्र का नोटिफिकेशन ‘भेदभाव पूर्ण और असंवैधानिक’ है क्योंकि यह मवेशी व्यापारियों के अधिकारों का हनन करता है. याचिकाकर्ता मोहम्मद फहीम कुरैशी ने पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 को चुनौती दी है. 

​पेशे से वकील फहीम कुरैशी ने दलील दी है कि पशु क्रूरता रोकथाम (मवेशी बाजार विनियमन) कानून, 2017 तथा पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 मनमाना, अवैध तथा असंवैधानिक है. याचिकाकर्ता ने 23 मई को जारी दोनों अधिसूचनाओं के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी थी.

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फहीम कुरैशी ने उस नियम पर सवाल उठाया है, जिसमें कम उम्र के मवेशियों को तब तक बाजार में नहीं बेचा जा सकता, जबतक कि खरीदार एक हलफनामा भरे, जिसमें वह बताए कि वह एक किसान है, मवेशी का केवल कृषि उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होगा और उसे छह महीनों तक नहीं बेचा जाएगा. 


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