यह ख़बर 10 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

रजामंदी से सेक्स की उम्रसीमा को लेकर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

खास बातें

  • रजामंदी से यौन संबंधों के लिए उम्रसीमा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में विवाहित युगल के वास्ते सहमति से सेक्स के लिए न्यूनतम आयु 18 साल तय किए जाने की मांग की गई है।
नई दिल्ली:

रजामंदी से यौन संबंधों के लिए उम्रसीमा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस जनहित याचिका में विवाहित युगल के वास्ते सहमति से सेक्स के लिए न्यूनतम आयु 18 साल तय किए जाने की मांग की गई है।

न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गैर सरकारी संगठन 'आई थॉट' की जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया।

जनहित याचिका में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 375 में 15 साल तक की शादीशुदा लड़की के साथ यौन संबंध कानूनी है और इसे बलात्कार नहीं माना जाता, जबकि कई कानूनों में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ यौन संबंध बलात्कार है।

याचिका में कहा गया है कि सिर्फ शादीशुदा होने की वजह से किसी लड़की के साथ सेक्स के लिए उम्रसीमा कम करना ठीक नहीं है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस मामले में अदालत निर्देश दे कि सेक्स संबंधों में रजामंदी की उम्र 18 साल ही हो, लड़की चाहे शादीशुदा हो या नहीं। इसी पर कोर्ट ने केंद्र को नोटिस दिया है।

इस याचिका में भारतीय दंड संहिता की धारा धारा 375 (यौन हिंसा) में संशोधन करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जिसमे पति से यौन संबंध के लिए पत्नी की सहमति देने की आयु के बारे में अपवाद का प्रावधान है। धारा 375 के इस अपवाद में हाल ही में अपराध विधि संशोधन अध्यादेश 2013 के तहत संशोधन कर दिया गया था। यह कहता है कि एक व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन कृत्य बलात्कार नहीं होगा, यदि उसकी आयु 15 साल से कम नहीं है।

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याचिका में इस संशोधन को चुनौती देते हुए गैर सरकारी संगठन के वकील विक्रम श्रीवास्तव ने दलील दी कि यदि वयस्क होने की उम्र 18 साल निर्धारित की गई है, तो यही आयु महिला के लिए सहमति से यौन संबंध स्थापित करने के लिए भी होनी चाहिए।