चुनाव आयोग की स्वायत्तता मामला: SC में केन्‍द्र ने कहा, EC को कानून बनाने का अधिकार नहीं दे सकते

चुनाव आयोग में स्वायत्तता को लेकर दाखिल याचिका पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है. केंद्र सरकार ने कहा कि चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्थान है, लेकिन उसे कानून बनाने का अधिकार नहीं दे सकते.

चुनाव आयोग की स्वायत्तता मामला:  SC में केन्‍द्र ने कहा, EC को कानून बनाने का अधिकार नहीं दे सकते

चुनाव आयोग की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

चुनाव आयोग में स्वायत्तता को लेकर दाखिल याचिका पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है. केंद्र सरकार ने कहा कि चुनाव आयोग स्वतंत्र संस्थान है, लेकिन उसे कानून बनाने का अधिकार नहीं दे सकते. चुनाव सुधार को लेकर सारे फैसले करने का अधिकार केवल संसद के पास है और ये पॉलिसी का मामला है, जो कार्यपालिका के पास है.

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चुनाव आयोग की तुलना लोकसभा, राज्यसभा या सुप्रीम कोर्ट से नहीं कर सकते. तीनों को संविधान ने अपने-अपने कार्य के बंटवारे के अधिकार दिए है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त की तरह दूसरे चुनाव आयुक्त को बराबरी का स्टेट्स नहीं दे सकते. मुख्य चुनाव आयुक्त का पद स्थायी पद है बाक़ी दोनों आयुक्तों के पास अस्थाई है. चुनाव आयोग बिना चुनाव आयुक्तों के बिना भी काम कर सकता है. पद से हटाए जाने के मुद्दे पर CEC के तरह चुनाव आयुक्तों को भी बराबर का संरक्षण नहीं दिया जा सकता. चुनाव आयोग को लोकसभा और राज्यसभा की तरह अलग से कोसोलिडेटेड फंड नहीं दिया जा सकता.

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चुनाव आयोग को अलग से सचिवालय की भी जरूरत नहीं है. चुनाव आयोग का काम केवल निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना है. चुनाव आयोग का काम बिना किसी रुकावट के चल रहा है. याचिका सुनवाई योग्य नहीं है इसे खारिज किया जाना चाहिए. इससे पहले चुनाव आयोग को अधिक स्वायत्तता और स्वतंत्रता के लिए जनहित याचिका पर जवाब दाखिल करते हुए आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा है कि वह 1998 के बाद से इस आशय के संशोधन के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेज रहा है और चुनाव संबंधी नियम बनाने की शक्ति की मांग कर रहा है. वर्तमान में ये शक्ति केंद्र के पास है और इसे आयोग को देना चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है. याचिका में कहा गया है कि मुख्य निवार्चन आयुक्तों और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया होनी चाहिए. याचिका में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए स्वतंत्र प्रक्रिया का हवाला देते हुए कहा है कि भारत निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्तों और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए भी ऐसी ही प्रक्रिया होनी चाहिए.

साथ ही उनके लिए सचिवालय हो और लोकसभा राज्यसभा की तर्ज पर फंड हो. चुनाव आयुक्तों को हटाने की प्रक्रिया भी मुख्य चुनाव आयुक्त की तरह हो. CEC को सिर्फ महाभियोग के जरिए हटाया जा सकता है.


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