जानें मकर संक्रांति पर पतंगबाजी के शौकीन क्यों नहीं कर पाएंगे 'धारदार' पतंगबाजी

जानें मकर संक्रांति पर पतंगबाजी के शौकीन क्यों नहीं कर पाएंगे 'धारदार' पतंगबाजी

मकर संक्रांति पर जोरदार पतंगबाजी होती है...

खास बातें

  • शीशे और धातु से बने मांझे बहुत बुरे
  • इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता NGT जाएं
  • PETA की याचिका पर लगी रोक
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने शीशे और धातु से बने मांझे को लेकर NGT के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि पतंग उड़ाने के लिए शीशे और धातु से बने मांझे बहुत बुरे हैं. कोर्ट ने कहा कि NGT ने अंतरिम स्टे दिया है इसलिए सुप्रीम कोर्ट सुनवाई नहीं करेगा. इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता फिर एनजीटी ही जाएं.

इससे पहले पीपल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल PETA की याचिका पर NGT ने इस मांझे के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. इसी को लेकर गुजरात के कुछ व्यावसायियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर NGT के बैन पर रोक लगाने की मांग की थी.

अब आसान नहीं होगा पतंग काटना, मकर संक्रांति पर नहीं हो सकेगी 'धारदार' पतंगबाजी

यानी मकर संक्रांति पर पतंगबाजी के शौकीनों के लिए अपने प्रतिस्पर्धी की पतंग काटना आसान नहीं होगा. पिसे हुए कांच का उपयोग करके तैयार की जाने वाली पतंग की डोर यानी कि 'मांझा' देश में नहीं बिक रहा है.. देश के अलग-अलग क्षेत्रों में मकर संक्रांति पर्व पर पतंगबाजी की परंपरा है. मकर संक्रांति 14 जनवरी को होती है और इस पर्व पर पतंगबाजी जमकर होती है.

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने देश भर में कांच लेपित 'मांझा' और इसी तरह की अन्य खतरनाक पतंग की डोर की खरीदी, बिक्री एवं इस्तेमाल पर अंतरिम रोक लगा दी थी. पीठ ने कहा था कि कांच लेपित पतंग की डोर न केवल पक्षी, जानवर और मनुष्य के लिए खतरनाक हैं, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं.


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