मार्कंडेय काटजू को राहत नहीं, महात्मा गांधी को बताया था- 'ब्रिटिश' और बोस को 'जापानी एजेंट'

मार्कंडेय काटजू को राहत नहीं, महात्मा गांधी को बताया था- 'ब्रिटिश' और बोस को 'जापानी एजेंट'

जस्टिस काटजू (फाइल फोटो)

खास बातें

  • संसद ने जारी किया था निंदा प्रस्ताव
  • निंदा प्रस्ताव निरस्त करने के लिए कोर्ट गए काटजू
  • कोर्ट ने कहा-गलत प्रथा शुरू नहीं करना चाहते
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू को राहत नहीं मिली है. कोर्ट ने काटजू की याचिका खारिज करते हुए कहा कि संसद के दोनों सदनों द्वारा जारी किया गया निंदा प्रस्ताव बना रहेगा.

दरअसल, जस्टिस काटजू ने अपने ब्लॉग में महात्मा गांधी को ब्रिटिश और सुभाष चंद्र बोस को जापानी एजेंट बताया था.

संसद के दोनों सदनों द्वारा निंदा प्रस्ताव जारी करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. जस्टिस काटजू ने निंदा प्रस्ताव को निरस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि जस्टिस काटजू की याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि जस्टिस काटजू के विचार पर संसद के दोनों सदनों ने अपने विचार व्यक्त किया है, कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की है. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अगर इस तरह के मामले की सुनवाई अदालत करेगी तो यह गलत प्रथा होगी. उन्होंने कहा कि संसद के भीतर हुई कार्यवाही को न्यायिक समीक्षा में दायरे में नहीं लाया जाना चाहिए.

गौरतलब है कि जस्टिस काटजू ने अपने ब्लॉग में महात्मा गांधी को ब्रिटिश और सुभाष चंद्र बोस को जापान का एजेंट बताया था. जस्टिस काटजू का कहना था कि बिना उनका पक्ष जाने संसद ने उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कर दिया, जो उचित नहीं है.


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