निर्भया मामले में राजनीति को बीच में न लाएं केवल सबूतों पर बहस करें : सुप्रीम कोर्ट

निर्भया मामले में राजनीति को बीच में न लाएं केवल सबूतों पर बहस करें : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया मामले में दोषी मुकेश के दावों को खारिज करते हुए साफ किया कि इस मामले में राजनीति को नहीं लाया जा सकता. मुकेश ने हलफनामा दाखिल कर आरोप लगाया था कि एक नेता ने गैंगरेप की साजिश रची थी.
कोर्ट ने मुकेश के वकील एमएल शर्मा को फटकार लगाते हुए कहा कि अगर आपको बहस करनी है तो सबूतों के आधार पर करें.

कोर्ट ने कहा एक इंसान जिसे हत्या के तहत फांसी की सज़ा हुई है और निचली अदालत ने दोषी ठहरा दिया. अब आप किसी पर आरोप लगा रहे हैं कि उसने (किसी नेता ने) दोषी रामसिंह को 10 हज़ार रुपये दिए थे? यह बात ट्रायल कोर्ट को क्यों नहीं बताई गई. इस दलील को तो समझा जा सकता है कि बचाव पक्ष कहे कि उसका घटना में कोई भूमिका न हो, लेकिन ये कतई नहीं हो सकता कि ये किसी के कहने पर किया गया है.

दरअसल, दोषी मुकेश के वकील एमएल शर्मा ने कोर्ट में मुकेश का इकरार नामा देने की बात कही, जिसमें उन्होंने कहा है कि यह घटना किसी राजनेता के कहने पर की गई थी. वहीं कोर्ट ने दोषी विनय के वकील की उस दलील को भी नकार दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि तिहाड़ जेल में पर्याप्त सुरक्षा नहीं है और विनय ने फांसी लगाने की कोशिश की थी.

कोर्ट ने कहा कि यह बात आप निचली अदालत में कहें. सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के 16 दिसंबर गैंगरेप मामले में दोषियों की अपील पर सुनवाई कर रहा है. गैंगरेप के चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी.

दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी. इसके बाद तीन जजों की बेंच को मामले को भेजा गया है और कोर्ट ने केस में मदद के लिए दो अमिक्स क्यूरी नियुक्त किए हैं. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित है.

गौरतलब है कि दहला देने वाली इस वारदात के बाद मुख्य आरोपी ड्राइवर राम सिंह ने तिहाड़ जेल में खुदकुशी कर ली थी जबकि नाबालिग अपनी तीन साल की सुधारगृह की सजा पूरी कर चुका है.


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