सेना में महिलाओं का इतिहास: 2008 में दो ब्रांच में मिला था स्थायी कमीशन, कमांड रोल तो मिला पर कॉम्बेट अब भी नहीं

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब महिलाओं को सभी ब्रांच में कमांडिग रोल मिल गया. लेकिन कॉम्बेट रोल अभी भी नहीं दिया गया है.

सेना में महिलाओं का इतिहास: 2008 में दो ब्रांच में मिला था स्थायी कमीशन, कमांड रोल तो मिला पर कॉम्बेट अब भी नहीं

सेना में महिलाओं की भर्ती की प्रक्रिया 1993 में शुरू हुई थी

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन की सोमवार को मंजूरी दे दी है. यह फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि मानसिकता बदलनी होगी. इस फैसले के बाद अब महिलाओं को सभी ब्रांच में कमांडिग रोल मिल गया. लेकिन कॉम्बेट रोल अभी भी नहीं दिया गया है. सेना में महिलाओं की भर्ती की प्रक्रिया 1993 में शुरू हुई थी. साल 2008 में सेना की दो ब्रांच में उन्हें स्थायी कमीशन दिया गया. जिसमें जज एडवोकेट जनरल और आर्मी एजुकेशन कोर शामिल हैं. आज के फैसले के बाद अब महिलाओं को 10 ब्रांच में स्थायी कमीशन मिलेगा, जिनमें आर्मी एविएशन कोर, सिग्नल, इंजीनियरिंग, आर्मी एयर डिफेंस, मेकेनिकल इंजीनियरिंग, आर्मी सर्विस कोर, आर्मी ऑर्डिनस और इंटेलिजेंस शामिल हैं.

सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन मिलेगा, SC ने केंद्र को लगाई फटकार- 'मानसिकता बदलनी होगी'

भारतीय सेना में महिला अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति एक विकासवादी प्रक्रिया है. कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि केंद्र अपने दृष्टिकोण और मानसिकता में बदलाव करे. अदालत के फैसले के अनुसार, अब महिलाओं को भी सेना में स्थायी कमीशन मिलेगा. आपको बता दें कि मौजूदा स्थिति में थल सेना में 1550, वायुसेना में 1600 और नौसेना में 500 महिलाएं हैं.

कोर्ट के आदेश के बाद महिलाओं को कमांड रोल दिया जा सकता है मतलब वो किसी टुकड़ी का नेतृत्व कर सकेंगी. लेकिन वायुसेना को छोड़कर थल और नौसेना में महिलाओं को कॉम्बैट रोल नहीं दिया गया है. वायुसेना में साल 2016 से महिलाओं को फाइटर उड़ाने का मौका मिला था. वहीं थल सेना में महिलायें लड़ाई के मैदान में नही जा सकती. इसके अलावा नौसेना में जंगी जहाज और पनडुब्बी में महिलाओं की तैनाती नहीं की जा सकती. ऐसे में एक सवाल अभी भी बचा हुआ है, कि आखिर महिलाओं को कॉम्बैट रोल कब मिलेगा.

सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन : सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सेना में महिलाओं के लिए होंगे ये बदलाव

महिलाओं की तैनाती नहीं होने के पीछे तर्क ये दिया जाता है कि अगर महिला को युद्धबंदी बना लिया गया तो फिर क्या होगा? अगर विंग कमांडर अभिनंदन की जगह कोई महिला होती तो उस परिस्थिति में क्या होता ? एक और बात है जो महिलाओं की तैनाती को लेकर कही जा रही है, क्या महिलाएं 20 दिन पेट्रोलिंग ड्यूटी पर जा सकती हैं, या फिर उन्हें सियाचिन जैसी जगहों में भेजा जा सकता है. क्या वहां महिलाएं पुरुष जवानों के साथ रह सकती हैं. 

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