नौसेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन लागू नहीं करने पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत सरकार को एक मॉडल नियोक्ता होना चाहिए, छह अगस्त को सेवा से मुक्त हो रहीं छह अधिकारी पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट

नौसेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन लागू नहीं करने पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

सुप्रीम कोर्ट.

नई दिल्ली:

नौसेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन लागू करने का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लागू नहीं करने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत सरकार को एक मॉडल नियोक्ता होना चाहिए. अदालत ने नौसेना की 6 अधिकारियों के कार्यमुक्त करने पर रोक लगाई है. इन अधिकारियों को 6 अगस्त को सेवा से मुक्त किया जाना था. 

दरअसल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को तीन महीने के भीतर पात्र महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का निर्देश दिया था. लेकिन सरकार आदेश का पालन करने में विफल रही. इस बीच 6 शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों को सेवा से मुक्त किया जा रहा है क्योंकि उन्हें स्थायी कमीशन के रूप में नहीं लिया गया था. ये अधिकारी सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल और फिर दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थायी कमीशन के लिए विचार के लिए गई थीं लेकिन दोनों ने इनकार कर दिया. तब इन 6 अधिकारियों ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया. 

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और केएम जोसेफ की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई की. केंद्र के वकील ने तर्क दिया कि COVID के कारण फैसले को तीन महीने के भीतर लागू नहीं किया जा सकता है और शीर्ष अदालत में समय बढ़ाने की याचिका लंबित है. याचिकाकर्ताओं के वकील संतोष कृष्णन ने अदालत को बताया कि इन अधिकारियों को स्थायी कमीशन के लिए विचार करने से पहले 6 अगस्त को सेवा से छुट्टी दी जा रही है, उस पर रोक लगाई जाए. 

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इसका सरकार के वकील ने विरोध किया. उन्होंने तर्क दिया था कि भले ही उन्हें छुट्टी दे दी जाए और बाद में स्थायी कमीशन के लिए योग्य पाया जाएगा तो वापस बुला लिया जाए. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, उन्हें अब सेवा से बाहर क्यों जाना चाहिए . यदि आपने निर्णय के साथ अनुपालन नहीं किया है तो उन्हें क्यों भुगतना चाहिए. भारत सरकार को एक मॉडल नियोक्ता होना चाहिए. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि केंद्र को अधिकारियों को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करना चाहिए.