CJI गोगोई ने कहा- Ayodhya Case पर सुनवाई जारी, Jammu-Kashmir पर सुनवाई के लिए टाइम नहीं

पूर्व सीएम फारुक अब्दुल्ला को नजरबंद किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करने से इनकार किया कर दिया है.

CJI गोगोई ने कहा- Ayodhya Case पर सुनवाई जारी, Jammu-Kashmir पर सुनवाई के लिए टाइम नहीं

अनुच्छेद 370 को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं में लोगों की हिरासत, बच्चों की हिरासत और ब्लैकआउट को लेकर याचिकाएं शामिल हैं.

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से जुड़े सभी मामले संविधान पीठ को भेज दिए हैं. इसके अलावा पूर्व सीएम फारुक अब्दुल्ला को नजरबंद किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करने से इनकार किया कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वाइको की याचिका में PSA को चुनौती नहीं दी गई है. इसलिए आप इसे संबंधित कोर्ट में चुनौती दें. इस याचिका पर पिछली सुनवाई में सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. यह याचिका राज्यसभा सांसद वाइको ने दाखिल की थी. बता दें, जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर दाखिल की गई याचिकाओं में लोगों की हिरासत, बच्चों की हिरासत और ब्लैकआउट को लेकर याचिकाएं शामिल हैं.

सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर चल रही रोजाना की सुनवाई की वजह से बेंच के पास समय नहीं है. इसलिए संविधान पीठ इन मामलों पर मंगलवार से सुनवाई करेगी.

इनमें कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद की याचिका थी. पिछली सुनवाई में आजाद को कोर्ट ने कश्मीर के चार जिलों जम्मू, श्रीनगर, अनंतनाग और बारामूला जाने की इजाजत दे थी. इसके अलावा CPI ( M) नेता सीताराम येचुरी की याचिका शामिल है. कोर्ट ने येचुरी को अपनी पार्टी के नेता युसूफ तारिगामी से मिलने की अनुमति दी थी और बाद में तारिगामी को एम्स में शिफ्ट कराया था. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने उन्हें कहा था कि वो जम्मू- कश्मीर जाने के लिए आजाद हैं. 

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वहीं, केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ दाखिल बच्चों को अवैध तौर पर हिरासत में लिए जाने के खिलाफ याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की ज्वुनाइल जस्टिस कमेटी से रिपोर्ट मांगी थी. ये याचिका एनाक्षी गांगुली और शांता सिन्हा ने दाखिल की है. 

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वहीं, पत्रकार अनुराधा भसीन और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता डॉ. समीर कौल की याचिका भी शामिल है. भसीन की याचिका पर पिछली सुनवाई में अदालत में बताया गया कि घाटी में अभी ना इंटरनेट है, ना ही संचार माध्यम की कोई सुविधा है और मीडिया काम नहीं कर पा रहा है. हालांकि, अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया था कि श्रीनगर-जम्मू में लगातार अखबार छप रहा है.

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