यह ख़बर 15 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

कैग की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका अस्वीकार

खास बातें

  • प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे उच्च न्यायालय से संपर्क करें जो ‘इस मामले से निपटने में समान रूप से सक्षम है।’ याचिकाकर्ताओं में पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एन गोपालस्वामी और पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल (सेव
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को शशिकांत शर्मा की भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे उच्च न्यायालय से संपर्क करें जो ‘इस मामले से निपटने में समान रूप से सक्षम है।’ याचिकाकर्ताओं में पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एन गोपालस्वामी और पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल (सेवानिवृत्त) आरएच ताहिलियानी शामिल हैं।

याचिका में इस आधार पर शर्मा की नियुक्ति को खारिज किए जाने की मांग की गई थी कि यह नियुक्ति ‘चयन की किसी व्यवस्था के बिना’, बिना किसी चयन समिति के, बिना किसी मापदंड के, बिना किसी मूल्यांकन के और बिना किसी पारदर्शिता के मनमाने तरीके से की गई है।

नौ याचिकाकर्ताओं ने उच्चतम न्यायालय से केंद्र को यह निर्देश दिए जाने की भी अपील की थी कि केंद्र ‘एक तय प्रक्रिया पर आधारित पारदर्शी चयन प्रक्रिया तैयार करे और एक व्यापक निष्पक्ष चयन समिति का गठन करे जो आवेदन और नामांकन मंगाने के बाद सर्वाधिक योग्य व्यक्ति की कैग के रूप में नियुक्ति के लिए सिफारिश करेगी।’

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याचिकाकर्ताओं का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता फली एस नरीमन ने कहा कि अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण मामला है।