देश भर की जेलों से जुड़ा सुप्रीम कोर्ट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कैदियों को मिलेगी कानूनी मदद

देश भर की जेलों से जुड़ा सुप्रीम कोर्ट, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कैदियों को मिलेगी कानूनी मदद

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा का शुभारंभ करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश.

खास बातें

  • जस्टिस दीपक मिश्रा ने रिबन काटकर नई परंपरा की शुरुआत की
  • जजों ने पंजाब, मध्यप्रदेश समेत कई प्रदेशों के जेल अफसरों से बात की
  • लीगल सर्विस अथारिटी के वकील सीधे विचाराधीन कैदियों से बात करेंगे
नई दिल्ली:

देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट अब देशभर की सारी जेलों से सीधे जुड़ गई है. सुप्रीम कोर्ट से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अब कानूनी मदद देने वाले वकील सीधे जेल में बंद कैदियों से बात कर सकेंगे, ताकि उन्हें सही और जल्द इंसाफ दिया जा सके. जस्टिस दीपक मिश्रा के रिबन काटते ही सुप्रीम कोर्ट में एक नई परंपरा की शुरुआत हुई.

देश की सबसे बड़ी अदालत देश की सारी जेलों तक जा पहुंची, ताकि आपराधिक केसों में बंद गरीब और लाचार कैदियों को न सिर्फ कानूनी सहायता मिले बल्कि उनके केस की सही पैरवी हो सके. जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस रंजन गोगोई ने दिल्ली की तिहाड़ जेल के अलावा पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, झारखंड समेत कई प्रदेशों की जेलों के अफसरों से बात भी की. जस्टिस मिश्रा ने हिंदी में जेल अफसरों से बात करते हुए कहा कि सभी को यह सुनिश्चित करना है कि हर कैदी तक कानूनी मदद पहुंचे और कैदी इसका लाभ उठा सकें. जस्टिस मिश्रा ने कहा कि सभी जेलों को एक प्रश्नावली भी भेजी जाएगी और अफसर तीन दिनों में इसका जवाब देंगे.

जस्टिस गोगोई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास जेलों में बंद 12 सौ कैदियों की अर्जियां मिलीं जिनमें से 600 के मामले चल रहे हैं. जबकि बाकी रुके पड़े हैं क्योंकि उनके कागजात नहीं पहुंचे हैं.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में बंद उन लोगों तक पहुंचने की कोशिश की है जिनके पास न तो साधन हैं और न ही मौका कि वे कोर्ट में अपना सही पक्ष रख सकें. सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस अथारिटी के वकील सीधे किसी भी जेल में बंद विचाराधीन कैदी से सीधे बात कर पाएंगे ताकि उन्हें जल्द और सही इंसाफ मिल सके.


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