सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत: कंपनी दिवालिया हुई तो घर खरीदारों को भी माना जाएगा लेनदार

सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने दिवालिया एवं ऋण शोधन अक्षमता कानून संशोधन कानून को बरकरार रखा.

सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत: कंपनी दिवालिया हुई तो घर खरीदारों को भी माना जाएगा लेनदार

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

खास बातें

  • घर खरीदारों को सुप्रीम कोर्ट से राहत
  • कंपनी दिवालिया हुई तो घर खरीदारों को भी माना जाएगा लेनदार
  • 3 महीने के भीतर केंद्र RERA के तहत प्राधिकारी नियुक्त करे: SC
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने दिवालिया एवं ऋण शोधन अक्षमता कानून संशोधन कानून को बरकरार रखा. अगर कंपनी दिवालिया घोषित होती है तो  घर खरीदार  भी लेनदार माने जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आईबीसी और RERA के तहत घर खरीदारों को वित्तीय लेनदारों के रूप में अधिकार दिया जाता है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि यह डेवलपर पर है कि वो साबित करे कि वह आवंटी डिफॉल्टर है. रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ  आवश्यकतानुसार, RERA प्राधिकरण, NCLT और NCDRC के समक्ष घर खरीदारों  को कार्यवाही शुरू करने का अधिकार है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि RERA को IBC के साथ सामंजस्यपूर्वक पढ़ा जाना चाहिए. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 3 महीने के भीतर RERA के तहत प्राधिकारी नियुक्त करने को कहा है. कोर्ट ने केंद्र को यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि एनसीएलटी और एनसीएलएटी सही से काम कर रहे हैं या नहीं. सप्रीम कोर्ट ने कंपनियों की याचिका खारिज की है, जिसमें कहा गया था कि IBC एनसीएलटी के सामने  'एक तरफा सुनवाई' के लिए अनुमति देता है. 

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पिछले साल संसद ने दिवालिया एवं ऋण शोधन अक्षमता कानून संशोधन कानून पास किया था, जिसमें  घर खरीदार और निवेशक भी दिवालिया घोषित कंपनी के ऋणदाता माना गया. कुछ रियल स्टेट कंपनियों ने इस संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. इससे पहले रियल एस्टेट सेक्टर में घर खरीदारों और कंपनियों में निवेशकों को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत दी थी. 

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दिवालिया एवं ऋण शोधन अक्षमता कानून संशोधन बिल पास होने के बाद अब घर खरीदार और निवेशक भी दिवालिया घोषित कंपनी के ऋणदाता माने जाएंगे. इससे कंपनी से मिलने वाली रकम में इनका भी हिस्सा होगा.  बिल में कंपनियों की दिवालिया प्रक्रिया पूरी करने के लिए तय समयसीमा को 270 से बढ़ाकर 330 करने का भी प्रावधान है. यह फरवरी में लाए गए अध्यादेश की जगह लेगा. अब दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के आवेदन के समय ही उसके पूरे करने की समय सीमा तय होगी. साथ ही वित्तीय लेनदारों के संकट का भी निवारण किया जाएगा. 

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