"दिसंबर में और बदतर हो सकते हैं हालात" : 4 राज्यों से कोविड रिपोर्ट चाहता है सुप्रीम कोर्ट 

COVID-19 News: जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि दिल्ली में हालात बदतर हो गए हैं. हम आज की तारीख में कोविड रोगी प्रबंधन, जमीन पर बुनियादी ढांचा आदि के बारे में स्टेटस रिपोर्ट चाहते हैं.

नई दिल्ली:

कोविड -19 रोगियों के समुचित उपचार और अस्पतालों में कोरोना रोगियों के शवों के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में कोरोना (Coronavirus) के हालात पर चिंता जताई. जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि दिल्ली में हालात बदतर हो गए हैं. हम चाहते ह़ै कि सरकार ने क्या व्यवस्था की है, उस पर विस्तार से हलफनामा दाखिल किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और असम में तेजी से मौजूदा समय बढ़ रहे कोविड मामलों के प्रबंधन, मरीजों को सुविधा समेत अन्य व्यवस्थाओं पर स्टेटस रिपोर्ट दो दिन में मांगी है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सुन रहे हैं कि इस महीने में केसों में भारी बढोतरी हुई है. हम सभी राज्यों से एक ताजा स्टेटस रिपोर्ट चाहते हैं. यदि राज्य अच्छी तरह से तैयारी नहीं करते तो दिसंबर में इससे भी बदतर चीजें हो सकती हैं. उच्चतम न्यायालय ने स्थिति से निपटने के लिए उठाए गए कदमों, मरीज़ों के प्रबंधन और वर्तमान स्थिति पर चार राज्यों से रिपोर्ट मांगी है.

दिल्ली सरकार ने अदालत में कहा कि कोरोना से निपटने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं. ASG संजय जैन ने कहा कि बड़े स्तर पर निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों के लिए 80 प्रतिशत आईसीयू बेड आरक्षित हैं. हमने सभी निर्देशों का पालन किया है. जवाब में कोर्ट ने कहा अच्छी बात है, लेकिन मौजूदा हालात पर आप क्या कहेंगे. वकील ने कहा कि हमने अस्पतालों और क्वारंटाइन सेंटर बनाए हैं. कोर्ट ने कहा कि आप इस मुद्दे पर स्पष्ट स्टेटस रिपोर्ट मौजूदा हालात के हिसाब से दाखिल करें. 

गुजरात सरकार को SC की फटकार
महामारी के बढ़ते मामलों के बावजूद राज्य में बेलगाम समारोहों, शादियों और कार्यक्रमों के लिए SC ने गुजरात सरकार को फटकार लगाई है. जस्टिस एम आर शाह ने कहा कि दिल्ली और महाराष्ट्र के बाद गुजरात में हालात सबसे खराब हैं. आपकी नीति क्या है? क्या हो रहा है? यह सब क्या है? अदालत ने कहा कि चार राज्यों में हालात बहुत खराब हैं. लापरवाही के चलते कोविड महामारी बढ़ रही है. अगली सुनवाई शुक्रवार 27 नवंबर को होगी.

दिल्ली में कोरोना टेस्टिंग पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर टेस्टिंग को लेकर उठाए सवाल हैं. कोर्ट ने कहा कि चेन्नई और मुंबई के मुकाबले मामले बढ़े हैं. कोर्ट ने पूछा कि टेस्टिंग एक दिन में 7000 से 5000 तक कम क्यों हो गई है? जबकि मुंबई और चेन्नई में यह टेस्टिंग 15 हजार से 17 हजार हो गई है. दिल्ली सरकार ने खुद संकेत दिया है कि COVID रोगियों के परीक्षण की संख्या कम हो गई है. जो भी अनुरोध करता है उसके अनुरोध को तकनीकी आधार पर टेस्टिंग से इनकार नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के अलावा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में गंभीर स्थिति है.

सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड -19 रोगियों के समुचित उपचार और अस्पतालों में कोरोना रोगियों के शवों के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार को लेकर स्वत: संज्ञान लिया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम आर शाह की पीठ को सौंपी है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शवों के साथ अनुचित व्यवहार हो रहा है. कुछ शव कूड़े में मिल रहे हैं. लोगों के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मीडिया ने इस तरह की रिपोर्ट दिखाई हैं. कोर्ट ने इस मामले पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली और उसके अस्पतालों में बहुत अफसोसजनक स्थिति है.

केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी
कोर्ट ने कहा कि मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में लॉबी और वेटिंग एरिया में शव पड़े थे. वार्ड के अंदर, ज्यादातर बेड खाली थे, जिनमें ऑक्सीजन, सलाइन ड्रिप की सुविधा नहीं थी. बड़ी संख्या में बेड खाली हैं, जबकि मरीज भटकते फिर रहे हैं. कोर्ट ने इस मामले के लिए केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने दिल्ली के साथ-साथ महाराष्ट्र और तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. साथ ही दिल्ली के LNJP अस्पताल को भी नोटिस भी जारी किया है. 

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